
रांची : केंद्र सरकार भले ही पूरे देश का हो, लेकिन झारखंड की अनदेखी केंद्र सरकार कर रही है. हालात यह है कि जब से यूपीए की हेमंत सरकार बनी है, तब से केंद्रीय फंड को ही रोक दिया गया है और 14 ऐसे विभाग है, जिसमें किसी तरह का कोई फंड तक नहीं आया है. वित्तीय वर्ष 2020-2021 में केंद्र प्रायोजित योजना एवं सौ फीसदी केंद्रीय योजना में भारत सरकार से कुल राशि 16152.19 करोड़ रुपये झारखंड को मिलना था, लेकिन नवंबर 2020 तक के मध्य तक अब तक सिर्फ 5039.04 करोड़ रुपये ही मिले है. यह चिंता की बात आम जनता के लिए भी है और किस तरह विकास और अन्य योजनाओं को लेकर राजनीति की जा रही है, इसका भी जीता-जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है. राज्य को यह राशि नहीं मिल पायी है, जिससे कामकाज प्रभावित हो रहा है. राशि समय पर नहीं मिलने की वजह से विभागों के अंतर्गत चल रही केंद्रीय योजनाएं व केंद्र प्रायोजित योजनाएं का काम फंस रहा है, राशि की कमी अब विकास कार्य में अड़चन डाल रही है. इधर, वित्तीय वर्ष समाप्ति में महज साढ़े चार माह से भी कम समय है ऐसे में केंद्र से पूरी राशि ले पाना मुश्किल ही है. पथ निर्माण, भवन निर्माण, खाद्य आपूर्ति, गव्य, मत्स्य, पशुपालन सहित 14 विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने केंद्र से फुटी कौड़ी भी नहीं मिली है. कई विभाग ऐसे हैं जिन्होंने नाममात्र की राशि प्राप्त की है. इन विभागों में इस साल केंद्रीय योजनाओं से मिलने वाली राशि से कुछ काम ही नहीं हुआ, कोई योजनाएं नहीं ली गयी. सर्वाधिक राशि ग्रामीण विकास विभाग ने प्राप्त की वह भी कुल बजट से आधी से भी कम वहीं कोरोना को लेकर सबसे अधिक महत्वपूर्ण विभाग बना स्वास्थ्य विभाग भी कुल बजट 1058 करोड़ में से सिर्फ 463 करोड़ ही प्राप्त कर पाया है. विकास कार्यो में आ रही है.
विभाग का नाम-कुल राशि कितनी मिलनी थी-प्राप्त राशि
कृषि विभाग—-209.80 करोड़ रुपये——70.11 करोड़ रुपये
पशुपालन विभाग-17.07 करोड़ रुपये——00.00 करोड़ रुपये
मत्स्य विभाग—09.96 करोड़ रुपये——0.00
गव्य विभाग—-9.00 करोड़ रुपये——0.00
कृषि, पशुपालन विभाग—245.83 करोड़ रुपये—–70.11 करोड़ रुपये
भवन निर्माण विभाग—-125.00 करोड़ रुपये—–0.00
खाद्य आपूर्ति विभाग—-2.61 करोड़ रुपये——0.00
वन पर्यावरण विभाग—–37.96 करोड़ रुपये—-3.39 करोड़ रुपये
स्वास्थ्य चिकित्सा विभाग–1058.38 करोड़ रुपये—463.07
उच्च शिक्षा विभाग—–42.00 करोड़ रुपये——12.42 करोड़ रुपये
विज्ञान-प्रावैधिकी विभाग—23.38 करोड़ रुपये—–0.00
गृह विभाग———-207.90 करोड़ रुपये—-0.03 करोड़ रुपये
आपदा प्रबंधन विभाग—-735.73 करोड़ रुपये—–284.00 करोड़ रुपये
गृह, कारा विभाग———943.63 करोड़ रुपये—–284.03 करोड़ रुपये
श्रम नियोजन विभाग—–56.52 करोड़ रुपये——-2.80 करोड़ रुपये
विधि विभाग————–7.43 करोड़ रुपये——–2.48 करोड़ रुपये
पथ निर्माण विभाग——–120.00 करोड़ रुपये——0.00
ग्रामीण विकास विभाग——–3771.37 करोड़ रुपये—–1829.20 करोड़ रुपये
ग्रामीण कार्य विभाग———950.00 करोड़ रुपये——844.50 करोड़ रुपये
पंचायती राज विभाग——–1798.11 करोड़ रुपये——–844.50 करोड़ रुपये
ग्रामीण विकास विभाग——-6519.50 करोड़ रुपये——-2673.70 करोड़ रुपये
जलसंसाधन विभाग——–200.10 करोड़ रुपये———0.00
लघु सिंचाई विभाग———–5.00 करोड़ रुपये———-0.00
जल संसाधन विभाग——–205.10 करोड़ रुपये——-0.00
माध्यमिक शिक्षा विभाग—–15.00 करोड़ रुपये——-0.00
प्राथमिक शिक्षा विभाग——1575.81 करोड़ रुपये—–446.95 करोड़ रुपये
महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग—1533.07 करोड़ रुपये—690.56 करोड़ रुपये
एससी, एसटी, वेलफेयर विभाग—586.00 करोड़ रुपये—-12.79 करोड़ रुपये
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता——-1590.83 करोड़ रुपये—–446.95 करोड़ रुपये
नगर विकास विभाग——-1417.00 करोड़ रुपये———132.23