जमशेदपुर : झारखंड प्रदेश बने 19 वर्ष हो चुके हैं. पक्ष और विपक्ष के रूप में झामुमो व भाजपा ने बारी-बारी से राज्य में शासन किया है. लेकिन राज्य की आदिवासी-मूलवासी जनता को अपने सपनों का झारखंड अब तक नहीं मिला है. उन्हें एक स्वच्छ व सशक्त विकल्प की तलाश है, जो जदयू दे सकती है. यह बात पूर्व सांसद व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कही. वह गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के व्यक्तित्व और नीतीश मॉडल के पांच मंत्र सुशासन, न्याय के साथ विकास, महिला सशक्तिकरण, शराबबंदी और जनकल्याण (पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि) से झारखंड जरूर बदलेगा. साथ ही पार्टी झारखंड में सभी संवैधानिक प्रावधानों को लागू करते हुए पूर्व घोषित 73 प्रतिशत आरक्षण और अन्य को 10 प्रतिशत आरक्षण की पक्षधर है. सालखन मुर्मू ने कहा कि शिबू सोरेन व हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चार बार सरकार बनी, बावजूद झामुमो हासा (भूमि), भाषा (झारखंड भाषा-संस्कृति) और नौकरी (डोमिसाइल) बचाने में असमर्थ रही. सीएनटी व एसपपीटी कानून को खुद तोड़ा औैर संताली भाषा को प्रथम राजभाषा बनाने की दिशा में कोई योगदान नहीं किया. सालखन मुर्मू ने उन पर सरना धर्म को बचाने के लिए भी कोई प्रयास नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अंतत: झामुमो नाकारा साबित हुआ. शिबू सोरेन भी लोकसभा चुनाव हार गये. अत: झामुमो से अब कोई उम्मीद करना बेकार है. सालखन मुर्मू ने भाजपा पर सीएनटी व एसपीटी कानून को कई बार तोड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि बड़े-बड़े पूंजीपतियों और उद्योपतियों के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण कर झारखंडी जन को विस्थापन व पलायन करने के लिए मजबूर करना भाजपा का विकास मॉडल है. उन्होंने भाजपा को आदिवासी-मूलवासी बताया. संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के जिलाध्यक्ष संजीव आचार्या समेत अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे.