रांची/दुमका/जमशेदपुर : झारखंड सरकार ने लॉकडाउन में राहत दो दी है, लेकिन कई सारे कारोबार को अब तक शुरू नहीं किया गया है. जाहिर सी बात है कि सरकार ने कपड़ा, जूता समेत कई कारोबार को अभी खोलने की इजाजत नहीं दी है. खास तौर पर कपड़ा और जूता की दुकानों को खोलने की इजाजत नहीं देने के खिलाफ कारोबारी सड़कों पर है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में ही कारोबारी सड़कों पर उतर गये है. इन लोगों ने रोड जाम कर अपना विरोध जताया और कहा कि जब सारे कारोबार खोले जा रहे है और देश के कई राज्यों में महामारी की ज्यादा मार होने के बावजूद क्यों यहां कपड़ा और जूता का कारोबार करने की इजाजत नहीं दी जा रही है. इन लोगों ने कहा कि यह गलत फैसला है और इसका हर स्तर पर विरोध होगा. दूसरी ओर, जमशेदपुर में भी इस फैसले का विरोध हुआ है. सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स के महामंत्री भरत वसानी ने कहा कि वे लोग जूता और कपड़े के कारोबारियों को लेकर आंदोलन करते रहेंगे और उनका विरोध जारी रहेगा. वैसे लॉकडाउन में कई रियायतें दी गयी है, जो सुकून देती है, लेकिन कपड़ा, जूता और कई ऐसे कारोबार है, जिसको सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजिंग के बीच चलाया जा सकता है, उसको इजाजत नहीं दी गयी है. जमशेदपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स ने भी मांग की है कि जूता, कपड़ा के कारोबारियों को कारोबार करने की इजाजत दी जाये नहीं तो वे लोग आंदोलन करेंगे. इस बीच बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा है कि यह तानाशाही है. लॉकडाउन में छूट का कोई आधार ही नहीं है. लॉकडाउन में कपड़ों और जूतों के कारोबार को रोकना गलत है. कई ऐसे कारोबार पर रोक लगायी गयी है, जो समझ से परे है क्योंकि कई कारोबार की तरह वह भी संचालित हो सकता है, फिर भी उसको रोका जाना गलत है.
jharkhand-lockdown-relaxation-झारखंड सरकार के खिलाफ कपड़ा, जूता समेत कई कारोबारी सड़को पर, मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र दुमका में सड़क जाम, सिंहभूम चेंबर व जमशेदपुर चेंबर ने भी जताया विरोध, पूर्व विधायक कुणाल ने कहा-यह तानाशाही
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