रांची: झारखंड और बिहार में अब ऐसी कोई जगह नहीं बची जहां सुरक्षा बल न पहुंच सके यह कहना है सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह का. उन्होंने कहा कि झारखंड में नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त करा लिया गया है. सुरक्षाबलों को हेलिकाप्टर की मदद से बूढ़ा पहाड़ में उतारा गया और सुरक्षा बलों के लिए स्थायी कैंप बनाया गया. सीआरपीएफ के डीजी ने बताया कि तीन अलग-अलग ऑपरेशन के बाद बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराया जा सका है. नक्सलियों के विरुद्ध चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत झारखंड में अप्रैल 2022 से लेकर अब तक 4 नक्सलियों को मारे गए है वहीं छत्तीसगढ़ में 7 व मध्यप्रदेश में 3 नक्सली सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए हैं. (नीचे भी पढ़े)
ऑपरेशन ऑक्टोपस के चलते ही 578 माओवादियों ने सरेंडर किया है. सुरक्षा बलों ने 725 नक्सलियों को गिरफ्तार किया. इनमें एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस के अलावा एक सेंट्रल कमेटी, तीन स्पेशल एरिया कमेटी, एक रीजनल कमेटी, दो जोनल कमेटी, 12 सब जोनल कमेटी व 29 एरिया कमांडर रैंक के हैं. इसी तरह 31 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि 11 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए. इस दौरान 1.18 करोड़ रुपये नकदी और 762 किलोग्राम विस्फोटक व हथियार बरामद किया गया. पिछले दो साल में राज्य में जिस तरह झारखंड पुलिस व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने मिलकर नक्सलियों पर बहुत हद तक नकेल कसने में सफलता हासिल की है, उसके पीछे योजनाबद्ध तरीके से चलाया गया अभियान है. राज्य में चार दर्जन से अधिक बड़े नक्सलियों की लेवी-रंगदारी से अर्जित चल-अचल संपत्ति को जब्त करते हुए सुरक्षा बलों ने उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया. जिसके फलस्वरुप नक्सलियों का मनोबल गिरा है और वे अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों को छोड़कर भागने को विवश हो गए है.