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jharkhand-new-minister-sworn-in-झारखंड में नये मंत्री बने स्वर्गीय हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल हसन, मधुपुर से चुनाव में हार गये तो मंत्री पद करना होगा खाली, जानें क्यों हाजी हुसैन अंसारी के बेटे को बिना विधायक बने ही बनाना पड़ा मंत्री, क्या है मधुपुर सीट का राजनीतिक खेल

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शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, गुरुजी शिबू सोरेन और मंत्रीमंडल के सारे सहयोगी.

रांची : झारखंड में नये मंत्री के तौर पर स्वर्गीय हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल हसन को शुक्रवार को शपथ दिलायी गयी. जुमा के दिन झामुमो नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल हसन अंसारी को पद एवं गोपनीयता की शपथ राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने दिलायी. रांची के राजभवन में आयोजित एक समारोह के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्रिमंडल के मंत्री, राज्यसभा सांसद और झामुमो सुप्रीमो गुरुजी शिबू सोरेन और मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे. हेमंत सोरेन की सरकार का यह दूसरा विस्तार रहा. (पूरी खबरें नीचे पढ़ें)

स्वर्गीय हाजी हुसैन अंसारी के बेटे मंत्री पद की शपथ लेते हुए.

मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर हाजी हुसैन अंसारी के बेटे ने ऊर्दू में पद और गोपनीयता की शपथ ली. इस तरह कैबिनेट मंत्रियों की संख्या दस हो गयी है. अब मधुपुर विधानसभा में चुनाव होगा. मंत्री के तौर पर कोरोना पोजिटिव होने के बाद हाजी हुसैन अंसारी का निधन हो गया था. उसके बाद से मधुपुर सीट खाली है और एक मंत्रीपद भी खाली है. लिहाजा, हेमंत सोरेन ने झामुमो के कोटे से उनको पहले ही मंत्री बना दिया ताकि मधुपुर विधानसभा सीट में उपचुनाव के दौरान हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हफीजुल हसन ज्यादा ताकतवर बनकर चुनाव लड़ सके. इसके अलावा जनता भी चाहेगी कि उनका विधायक मंत्री बने, जिसकी गारंटी हेमंत सोरेन ने दे दी. (पूरी खबरें नीचे पढ़ें)

नये मंत्री के तौर पर हाजी हुसैन अंसारी के बेटे.

उपचुनाव में एक भी सीट में हार नहीं हो, इसको देखते हुए वहां जीत सुनिश्चति करने की दिशा में यह कोशिश की गयी. जहां तक मधुपुर सीट की बात है तो मधुपुर सीट में 88 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र4 में है जबकि शहरी आबादी 12 फीसदी ही है. इसमें 11.77 फीसदी अनुसूचित जाति, 13.90 फीसदी अनुसूचित जनजाति की आबादी है. अल्पसंख्यकों की भी काफी संख्या में मौजूदगी के कारण यहां से हाजी हुसैन अंसारी चुनाव जीतते रहे है, लेकिन भाजपा भी यहां जीत हासिल करती रही है. वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के राज पालीवार ने जीत हासिल की थी, जिसको 37.3 फीसदी वोट मिले थे. मधुपुर सीट पर झामुमो का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर था जबकि झाविमो का प्रत्याशी तीसरा और कांग्रेस चौथे स्थान पर था. बसपा यहां पांचवें स्थान पर रही थी इससे पहले मधुपुर से हाजी हुसैन अंसारी ने जीत हासिल की थी. 2005 के चुनाव में भाजपा के राज पालीवार ने जीत हासिल की थी. (पूरी खबरें नीचे पढ़ें)

शपथ ग्रहण समारोह का दृश्य.

इस तरह भाजपा और झामुमो की झोली में यह सीट आती और जाती रही है, जिस कारण कोई रिस्क लेना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नहीं चाहते है. हाजी हुसैन अंसारी के बेटे बिना विधायक बने ही मंत्री बना दिये गये है. संविधान में यह शक्तियां मुख्यमंत्री को दी गयी है कि छह माह के लिए बिना विधायक व्यक्ति को भी मंत्री बनाया जा सकता है. अगर चुनाव उक्त व्यक्ति जीत जाते है और विधायक बन जाते है तो वे मंत्री के पद पर रहेंगे, लेकिन अगर चुनाव हार जाते है तो मंत्रीपद उनको छोड़ना होगा. झामुमो यहां चाहती है कि हर हाल में उनकी सीट बची रहे. (पूरी खबरें नीचे पढ़ें)

यहीं वजह है कि झामुमो पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ना चाहती है क्योंकि भाजपा के साथ इस बार वहां झाविमो का विलय हो चुका है, जो हमेशा से वहां दूसरे या तीसरे स्थान पर रही है. ऐसे में अंकगणित को देखते हुए झामुमो के लिए यह सीट काफी संकट भरा है. भाजपा भी पूरी ताकत के साथ यहां चुनाव लड़ सकती है.

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