बोकारोः झारखंड में हेमंत सोरेन की नियोजन नीति का कांग्रेस के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने स्वागत योग्य बताया. साथ ही उन्होंने तृतीय और चौथी श्रेणी की नियुक्ति में स्थानीय छात्र- छात्राओं को प्राथमिकता भी देनी चाहिए. श्री त्रिपाठी ने कहा कि राज्य के 16 जिले है जहां पर नयी नियोजन नीति में चयनित 12 भाषायो की जानकारी नहीं है. 16 जिले के अभ्यर्थियों की चार प्रमुख भाषाएं भोजपुरी, मगही, अंगिका व मैथिली के जानकार है. लेकिन हेमंत सरकार की नयी नियोजन नीति में इन चार भाषाओं को नहीं जोड़ा गया है. उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन से मांग की है कि झारखंड के बच्चों को अपने राज्य में ही नौकरी मिले, जिसके लिए सरकार को नयी नियोजन नीति में संशोधन करने की जरुरत है. इस नियोजन नीति में चार भाषाओं को जोड़ने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से यूपीए को हानि होगा. श्री त्रिपाठी ने कहा कि झारखंड में मगही, भोजपुरी भाषा को बोलने और समझने वाले लोग गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, जामताड़ा, रांची में रहते हैं. वही अंगिका एवं मैथिली बोलने एवं समझने वाले लोग गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, देवघर, जामताड़ा में निवास करते हैं. इन लोगों को झारखंड गजट में शामिल 12 जनजाति भाषाओं का ज्ञान नहीं है. झारखंड सरकार में कांग्रेस सहयोगी दल है. अगर सहयोगी दल ही नियोजन नीति का विरोध कर रही है तो सरकार को इस मुद्दे पर विचार करने की जरुरत पड़ सकती है.