रांची : झारखंड निर्वाचन आयोग की ओर से पंचायत चुनाव की तैयारी तेज की गयी है. इसके तहत राज्य के निर्वाचन आयुक्त देवेंद्र कुमार तिवारी ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत पंचायत चुनाव में खर्च की सीमा में परिवर्तन किया गया है. इसके तहत निर्वाचन आयुक्त ने माना है कि वर्ष 2015 के पश्चात् लगभग 6 वर्ष बीत चुके है तथा इस अवधि में 2015 में पंचायतों के आम निर्वाचन के साथ-साथ वर्ष 2018 में उप निर्वाचन भी सम्पन्न कराए जा चुके हैं. इन निर्वाचनों के दौरान निर्वाचन व्यय की अधिसीमा के पुनः निर्धारण हेतु आयोग ने इस विषय की गहन समीक्षा की है एवं देश के अन्य राज्यों में विनिर्धारित निर्वाचन व्यय की अधिसीमा का भी अध्ययन किया है. इस समीक्षा एवं अध्ययन के पश्चात् आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि निर्वाचन संबंधी चुनाव प्रचार अभियान में नित नए-नए प्रयोग एवं आयाम शामिल हुए हैं. इलेक्ट्रोनिक एवं प्रिंट मीडिया में नए-नए आयाम जुड़ने के कारण चुनाव प्रचार अभियान में इनकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई. इसके अतिरिक्त महंगाई दर में भी वृद्धि हुई है जिसके कारण चुनाव प्रचार सामग्रियों के दर में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. इस कारण उम्मीदवार सदस्य, ग्राम पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र 14 हजार रुपये, ग्राम पंचायत के मुखिया के प्रत्याशी 85 हजार रुपये, सदस्य, पंचायत समिति के क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्याशी को 71 हजार और जिला परिषद के सदस्य के लिए 2 लाख 14 हजार रुपये खर्च करने की सीमा तय है. त्रिस्तरीय पंचायत के विभिन्न पदों एवं स्थानों के उम्मीदवार या उनके निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम, 2001 में विनिर्दिष्ट समय सीमा अर्थात निर्वाचन परिणाम की घोषणा की तिथि से 30 दिनों के अन्दर निर्वाचन व्ययों का लेखा जिला निर्वाचन पदाधिकारी (पंचायत) या किसी अन्य पदाधिकारी जैसा राज्य निर्वाचन आयोग प्राधिकृत करे के पास जमा करेगा. इसके अन्तर्गत निर्वाचन व्यय का लेखा एवं निर्वाचन व्यय का सार जो उसके द्वारा या उसके निर्वाचन अभिकर्ता के द्वारा रखी गई लेखा की सच्ची प्रति होगी, विहित प्रपत्र में समर्पित किया जायेगा. यह भी तय किया गया है कि त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन का प्रत्येक निर्वाचन लड़ने वाला उम्मीदवार जिस तारीख को उसका नाम निर्देशन हुआ हो उस तारीख से लेकर उसका परिणाम घोषित किये जाने की तारीख तक उसके या उसके निर्वाचन अभिकर्ता द्वारा उपगत या प्राधिकृत निर्वाचन से जुड़े सभी खर्च का पृथक और सही लेखा या तो स्वयं रखेगा या अपने निर्वाचन अभिकर्ता से रखवाएगा। कुल निर्वाचन व्यय उपर्युक्त निर्धारित अधिकतम व्यय की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए. अधिनियम एवं नियमावली के प्रावधानों के अन्तर्गत तथा आयोग के दिशा-निर्देशों के अधीन अपेक्षित रीति से विहित समय-सीमा के अन्तर्गत निर्वाचन व्यय का लेखा प्रस्तुत नहीं किये जाने पर इसे चूक माना जाएगा तथा इस चूक के लिए युक्तियुक्त कारण या औचित्य का समाधान नहीं होने की स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग उस उम्मीदवार को निरर्हित घोषित कर देगा और ऐसा व्यक्ति आदेश निर्गत की तिथि से तीन वर्षों की अवधि के लिए निरहित हो जाएगा एवं इस आशय की अधिसूचना राजकीय राजपत्र में भी प्रकाशित की जायेगी.