रांची : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट को कम कर दिया है. डीजल पर दो फीसदी जबकि पेट्रोल पर 1 फीसदी वैट में कमी ला दी गयी है. इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार के खजानें पर एक हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा, लेकिन फिर भी यह साहसिक कदम जनहित में उठाया गया है. नये वैट के बाद पेट्रोल में 90 पैसे की कमी आ चुकी है जबकि डीजल में 1.48 रुपये की कमी आयी है. लेकिन झारखंड में वैट में कमी नहीं लायी गयी है. झारखंड के बगल में बिहार की सरकार ने पहले ही वैट पर कमी कर चुकी है. छत्तीसगढ़ ने भी कमी ला दी है. ओड़िशा की सरकार ने कमी ला दी है. अकेले झारखंड और बंगाल की सरकार ने इस एरिया में अपना वैट नहीं घटाया है, जिस कारण पेट्रोल और डीजल का रेट कम नहीं हो पा रहा है. वर्तमान में बिहार, ओड़िशा, कर्नाटक, पुड्डूचेरी, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम, मध्यप्रदेश, गुजरात, गोवा, दादरा एवं नागर हवेली, दमन दीव, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और लद्दाख में राज्य सरकार ने वैट की कमी की है. इसके बाद से उपरोक्त राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमत में उक्त राज्यों में कमी आयी है. लेकिन झारखंड में अब तक इसमें कमी नहीं लायी गयी है. वैसे यहां भी कांग्रेस के समर्थन से झामुमो की हेमंत सोरेन की सरकार चल रही है, जिसमें राजद भी पार्टनर है. दरअसल, झारखंड की सरकार अपने आंतरिक पैसों की आमदनी को मजबूत बनाने के सारे उपाय कर फेल हो चुकी है, जिस कारण अब तक यह फैसला नहीं ले पा रही है कि हर माह एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान झारखंड को होगा तो उसकी भरपाई कैसे होगी और कैसे उसके विकल्प पर काम किया जा सकता है. इस पर झारखंड सरकार फैसला नहीं ले पायी है. वैसे इसको लेकर सत्ताधारी झामुमो, कांग्रेस और राजद पर भी जनता का काफी दबाव बना हुआ है.