खबरJharkhand-Politics- कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के बाद झारखंड में होगा ''ऑपरेशन लोटस'', मुख्यमंत्री...
spot_img

Jharkhand-Politics- कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के बाद झारखंड में होगा ”ऑपरेशन लोटस”, मुख्यमंत्री की बढ़ रही है भाजपा से नजदीकियां, उठ रहे सवाल

राशिफल

रांची: भाजपा ने सबसे पहले कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन किया है. यह सत्ता किसी तरह भी परिवर्तन हुआ, वह मायने नहीं रखता, मायने रखता है सत्ता परिवर्तन हुआ. राजनीति गलियारों में यह भी चर्चा है कि अगला किस राज्य का नंबर है. तो साफ नजर आ रहा है अब नंबर तो झारखंड का ही है. यहां के मुख्यमंत्री कई मामले में फंसे हुए है. इन मामलों से निकलना बहुत ही मुश्किल लगता है. इससे इतर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, इस दौरान क्या क्या बातें दोनों के बीच में हुई, यह कोई नहीं जानता, लेकिन इस मुलाकात के राजनीति गलियारे में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गरम है. अब तो इस बात को और मजबूती मिल रही है कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होने के बाद क्या झारखंड का नंबर है. पश्चिम बंगाल के भाजपा विधायक शुवेंदु अधिकारी का कहना है कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होने के बाद झारखंड का नंबर ही है.(नीचे भी पढे)

इसके लिए भाजपा आला कमान कई तरह के हथकंडे अपना रखे है.कभी ईडी, तो कभी निर्वाचन आयोग तो कभी सुप्रीम कोर्ट का चक्कर सीएम ला रहे है. झारखंड भाजपा ने माइंस लीज मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की शिकायत ईसी से की गयी है. सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ जो भी मामले चल रहे है.सभी मामले भाजपा ने ही लगाए है. हेमंत व शाह की मुलाकात के बाद भाजपा के विधायक भानु प्रताप शाही ने ट्विटर पर लिखा चचा बकस द, इसके बाद दूसरा टिवटर पर लिखा उद्धव तो गयो, तुम कब जाओगो. ऐसा भी नहीं है कि भाजपा और झामुमो मिलकर सरकार नहीं बना सकती है. इससे पहले भी अर्जुन मुंडा झामुमो के सहयोग से सीएम बने थे. इसलिए यह कहा नहीं जा सकता है कि झामुमो को भाजपा समर्थन नहीं करेगी. जैसे की देखने को मिला कि महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना के बागी गुट के एकनाथ शिंदे को भाजपा ने सीएम बना दिया. राजनीति में कुछ भी संभव है, दोस्त कभी दुश्मन बन जाते है और कभी दुश्मन ही दोस्त जैसा व्यवहार करने लगता है. यह सब राजनीति में चलता है. किसी तरह सत्ता कब्जाने के लिए हथकंडे अपनाए जाते है, वह सभी हथकंडे जायज है. झारखंड में भी सत्ता परिवर्तन की खबर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है.(नीचे भी पढे)
राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देना झामुमो के जनाधार को भा रहा है तो मोर्चा राजग के साथ जाने को तैयार है. इसे झामुमो के लिए एक बेहतर राजनीतिक अवसर के तौर पर भी देखा जा रहा है. हेमंत सोरेन के शासनकाल के ढ़ाई साल बचे है, राज्य की वित्तीय स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है, झारखंड को हर बात पर केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है. इसलिए झारखंड सरकार मध्यम मार्ग की राजनीति को अपना सकते है, जैसा की ओड़िशा सरकार अपनाती है. नवीन पटनायक बड़ी ही चतुराई केंद्रीय योजनाओं को फायदा उठाती है, इसी कारण वे राष्ट्रपति चुनाव में ओडि़शा से संबंध रखने वाली द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का एलान किया है. इसी राह पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन भी चल रहे है. भ्रष्ट्राचार के विभिन्न मामलों में बुरी तरह फंसे होने के कारण वह भाजपा के करीब जाने की जुगत भिड़ा रहे है.(नीचे भी पढे)

भाजपा की शिकायत पर भारत निर्वाचन आयोग उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने संबंधी मामले की सुनवाई कर रहा है. सीएम के भाई विधायक बसंत सोरेन की विधायकी खतरे में है. राज्य में ईडी की बड़े पैमाने पर कार्रवाई चल रही है. अगर वे इस झंझावत से बाहर निकल पाते है तो झारखंड की राजनीति में नया समीकरण देखने को मिल सकता है. इस परिस्थिति में झामुमो हो सकता है कि भाजपा के साथ नजदीकियां बढ़ाएं और गठबंधन कर झारखंड में फिर से झामुमो की ही सरकार रहे लेकिन भाजपा का सहयोग रहेगा. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि घीरे धीरे ईडी अब झारखंड की ओर रुख करेगी.साथ ही सीबीआई भी झारखंड में कैंप करेगी. झामुमो के कई विधायक ऐसे कई मामले में संलिप्त है जिसकी जांच सीबीआई करेगी.

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading