
रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अचानक दिल्ली दौरे से झारखंड में राजनीति बयानबाजी तेज हो गयी है. राज्य में इस बात की चर्चा तेज है कि दिल्ली में राज्य के 12वें मंत्री पद
और निगम-बोर्ड के गठन पर मंथन चल रही है. 12वें मंत्री पद पर एक तरफ जहां कांग्रेस अपना दावा ठोंक रही है तो झामुमो का भी दो टूक जवाब है कि 12वां मंत्री तो उन्हीं का होगा. इस बीच सत्ताधारी पार्टियों के संघर्ष के बीच भाजपा से गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे के बयान ने एक नया कोण दिया है. निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि सीएम हेमंत सोरेन कांग्रेस से
परेशान, दिल्ली दर्शन उनका नए पार्टनर के साथ सरकार बनाने का जुगाड़ तो नहीं है. सीएम हेमंत सोरेन पिछले दो दिनों से दिल्ली दौरे पर हैं. इस दौरान वे कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं से मिले रहे हैं. इस बीच चर्चा ये भी है कि वे पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सकते हैं. वे पीएम से मिलकर राज्य के लिए विशेष पैकेज की मांग कर सकते हैं. वैसे उनकी मुलाकात कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ भी संभव है.
4 विधायक पर एक मंत्री बनाने का तय हुआ था फॉर्मूला
जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या के दावे के बाद राज्य में कांग्रेस, झामुमो और राजद की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले सूत्रों का कहना है कि पहले ही तय हो गया था कि 4 विधायकों पर एक मंत्री बनेगा. इस फॉर्मूला के तहत 16 विधायकों वाली कांग्रेस को 4 और झामुमो को 7 मंत्री पद मिलने थे क्योंकि उसके 30 विधायक हैं. अब कांग्रेस में प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के आने से उसकी संख्या 18 हो गई है. लेकिन झामुमो इस तर्क को नहीं मान रहा, क्योंकि उसके विधायकों की संख्या भी 28 से दो अधिक 30 है.
रामेश्वर उरांव का बयान-सरकार में सीएम का क्षेत्राधिकार, दावा कांग्रेस का
12वें मंत्री के बारे में पूछे गये एक सवाल पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि सीएम का क्षेत्राधिकार है कि वे मंत्री किसको बनायेंगे और किसको नहीं. 12वें मंत्री की जहां तक बात है तो कांग्रेस को एक मंत्री पद तो मिलना ही चाहिए. इसको लेकर झामुमो की बयानबाजी से मतलब नहीं है. गुरुजी शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ बातचीत कर बेहतर जो रास्ता होगा, वह निकाल लिया जायेगा.