रांची: झारखंड में मंहगाई को लेकर सियासत जारी है. पेट्रोल-डीजल की कीमत करीब 100 रुपए के आस पास है. इसको लेकर सत्ताधारी व विपक्षी दल आमने- सामने है. सत्ताधारी दल के सहयोगी कांग्रेस, झामुमो व राजद मंहगाई के लिए पूरी तरह से केंद्र को दोषी ठहरा रहे है. विरोध करने केलिए कांग्रेस साइकिल रैली निकाल रही है. कांग्रेसी पेट्रोल पंप पर हस्ताक्षर अभियान चला रहे है. वहीं बैलगाड़ी की सवारी की जा रही है. गैस चुल्हा पर लकड़ी जलाकर खाना बनाने का कार्यक्रम चला रहे है, इतर भाजपा इसे राज्य सरकार के मिसमैनेजमेंट पर सवाल उठा रही है. पर अर्थशास्त्र के जानकारों का कहना है यह सब राजनीतिक स्टंट से ज्यादा नहीं है.झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार महंगाई के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है. केंद्र देश की जनता को आर्थिक संकट से उबारने की बजाये उसे मारने में लगी हुई है. पेट्रोल व डीजल की कीमतों को केन्द्र सरकार जान बूझकर जीएसटी के अंतर्गत नहीं लाना चाहती. अगर यह जीएसटी के अंतर्गत आ जायेगा तो इसके पैसे से पीएम नरेंद्र मोदी की विलासिता कम हो जाएगी.कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम का कहना है कि केन्द्र सरकार महंगाई पर अंकुश के लिए कोई नीति नहीं तैयार कर रही है. सात साल पहले 2014 में अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमत 140 डॉलर प्रति बैरल थी. उस दौरान केंद्र में यूपीए सरकार थी. केंद्र ने उस समय 70 रुपए से नीचे की कीमत पर देश की जनता को पेट्रोल उपलब्ध कराया था. देश के लगभग दो सौ शहरों में पेट्रोल 100 रुपये से पार कर गया है, डीजल भी 98 रुपया प्रति लीटर तक है. जनवरी 2021 से 7 जुलाई तक मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमत 69 बार बढ़ाई है.राजद नेता और पूर्व मंत्री राधा कृष्ण किशोर कहते हैं कि आरबीआई ने तेल के दामों में उछाल पर कमी के लिये सुझाव भी दिये हैं. उसने इसकी मुख्य वजह पेट्रोलियम पदार्थों पर लगाये जाने वाले टैक्स को बतायी है. केंद्रीय उत्पाद शुल्क औऱ अधिभार कम करने से ही राहत मिलेगी. केंद्र इसके लिये तैयार नहीं.
भाजपा प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू के मुताबिक राज्य में कांग्रेस पार्टी पेट्रोल-डीजल के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही है. अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए कांग्रेस दिखावा कर रही है. राज्य सरकार पेट्रोल-पूर्व में पेट्रोल डीजल की कीमतों पर सरकारी नियंत्रण रहता था जो अब बाजार के हिसाब से तय होता है. स्टेट टैक्स के लिये इस पर वैट जरूरी है. इससे रेवेन्यू पाने में आसानी होती है. एक्साइज ड्यूटी पर टैक्स बढ़ाने से इसका साइड इफेक्ट होने लगता है. तस्करी बढ़ने लगती है. रजिस्ट्रेशन से भी बहुत ज्यादा राजस्व नहीं मिलता. पेट्रोल -जीएसटी के दायरे में नहीं है.
jharkhand-politics-झारखंड में महंगाई से मर रही जनता, नेता कर रहे राजनीति, कांग्रेस-झामुमो-राजद ने केंद्र पर साधा निशाना, भाजपा बोली-वैट कम करें झारखंड सरकार
[metaslider id=15963 cssclass=””]