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jharkhand-proud-चांडिल में ”सबरों” के उत्पाद का दुनिया में बढ़ा डिमांड, एमेजॉन ने शुरू की मार्केटिंग, भगवान राम की शबरी खुद थी सबरों की जाति की, ऐतिहासिक है इनका जीवन व काम

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चांडिल : झारखंड के अति पिछडा प्रखंडों में पश्चिम सिंहभूम जिला का नीमडीह प्रखंड भी शामिल है. इस प्रखंड में ना तो कोई उद्योग है और ना ही कोई बडा बाजार. इस प्रखंड की पहचान वन-जंगल के प्राकतिक सौंदर्य से होती है. इस प्रखंड के पर्वत श्रृंखला व तलहटी में स्थित भंगाट, माकुला, बुरुडीह, बाडेदा समेत कई गांव हैं जहां सिर्फ आदिम जनजाति (सबर) के लोग निवास करते हैं. इनलोगों की पहचान इतिहास के पन्नों में ”वीर योद्धा समुदाय” के रूप में अंकित हैं. बताया यह भी जाता है कि इनलोगों ने ब्रिटिश साम्राज्य से लोहा लेते हुए कभी गुलामी स्वीकार नहीं किया। सबर जाति के इतिहास ”रामायण काल” से ही प्राप्त होता है। लोककथाओं के अनुसार भगवान राम को जंगल के मीठे और जुठे बेर खिलाने वाली ”शबरी” इसी जनजाति की थीं.

इतना सबकुछ होने के बाद भी यह समुदाय वर्तमान में बहुत दयनीय हालात में अपना जीवन यापन कर रहा है. बताया जा रहा है कि इनलोगों का आजीविका का मुख्य साधन जंगल से लकड़ी चुनना, साल के पत्तों एवं बांस से निर्मित झाडु बेंचना है. सबर सामुदाय का जीवन स्थर उपर करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने कई योजनाएं भी शुरू की हैं. इसी योजना के तहत स्वयंसेवी संस्था अंबालिका की ओर से 1999 में नीमडीह के बामनी केतुंगा उच्च विद्यालय परिसर के पीछे एक भवन में सबर समुदाय के लोगों को बांस, खजुर के पत्ता व अन्य कई प्रकार के घर में उपयोग होने वाले व सौंदर्य के वस्तुओं के निमार्ण के लिए प्रशिक्षण देने शुरू किया. इनलोगों के प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोडने का काम तत्कालीन आइएएस अधिकारी सुचित्रा सिन्हा के पहल से शुरू हुआ था. आब स्थिति ऐसी आ गई है कि इनके द्वारा बनाए गए वस्तुएं अब अमेजॉन पर उपलब्ध हो गया है. बताया जा रहा है कि 14 जुलाई अंतरराष्ट्रीय बाजार के ऑनलाइन शॉपिंग साइड अमेजॉन पर बिक्री शुरू हो गया है. आइएएस अधिकारी सुचित्रा सिन्हा सबर जातियों के उत्थान के लिए पिछले 23 वर्षों से लगातार प्रयासकर रही हैं. बताया जा रहा है कि सूचित्रा सिन्हा का सपना था कि सबर समुदाय द्वारा निर्मित सामान अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध हो, जो अब पूरा हो गया है. स्थानीय लोगों ने भी इस बात पर खुशी जताई है कि नीमडीह जैसे पिछडे प्रखंड के लोगों द्वारा निर्मित बस्तु अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध हो गया है.

निफ्ट के पांच विशेषज्ञों द्वारा दिया गया प्रशिक्षण

भारत सरकार के उपक्रम हस्तशिल्प कार्यालय नई दिल्ली के सौजन्य से 1999 में निफ्ट ( नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ) नई दिल्ली के पांच डिजाईनरों ( विशेषज्ञ ) ने नीमडीह के प्रशिक्षण केंद्र में सबर महिला-पुरुषों को खजुर पत्ता, बांस व घास द्वारा विभिन्न प्रकार के सामग्री निर्माण का प्रशिक्षण दिया था, इसके बाद भी प्रशिक्षण कार्य लगातार जारी रहा. बता दें कि सूचित्रा सिन्हा 2006 बैच के झारखंड के आईएएस अधिकारी थी। उन्होंने पटना वीमेंस कॉलेज से स्नातक व पटना विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। वह झारखंड सरकार में डावकारा के परियोजना निदेशक, आदिवासी विकास सोसायटी के निदेशक, सहकारी समितियों के निदेशक, पर्यटन विभाग के निदेशक आदि पद पर रहते हुए अनेक जन कल्याणकारी योजनाएं लागू किए. वर्तमान में वे आदिम जनजातियों के जीवन स्तर की सुधार हेतु कार्य कर रही हैं.

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