जमशेदपुर : झारखंड की बेटी सुश्री कंचन उगुरसंडी द्वारा दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बने सड़क की साहसिक यात्रा पूरी की है. शून्य से माइनस 40 डिग्री से कम वाले ठंड में उसने सेना द्वारा तैयार किये गये अंतिम सड़क तक जाकर रिकॉर्ड बनाया. वह पहली महिला विश्व की बन चुकी है, जो अकेले बाइक से ही दुनिया के सबसे ऊंची सड़क तक पहुंचने में कामयाब हुई है. यह भी गौरव की बात है कि वह झारखंड की रहने वाली है. उत्तरी हिमालय पर्वतमाला में 18 अत्यंत कठिन पर्वतीय मार्गों को कवर करते हुए शुरू किया गया दुनिया के पहले एकल मोटरसाइकिल अभियान का समापन नई दिल्ली के सीमा सड़क भवन में 7 जुलाई को हुआ था. इस अभियान को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 जून को नई दिल्ली से रवाना किया था. (नीचे पढ़े पूरी खबर)
महीने भर चलने वाले इस अभियान में एक अकेली महिला सवार कंचन उगुरसंडी ने कई चीजें पहली बार की. सुश्री कंचन उगुरसंडी उमलिंगला दर्रे को फतह करने, 18 पास को कवर करने और एक ही बार में नई दिल्ली-मनाली-लेह-उमलिंगला-दिल्ली से 3,187 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली पहली अकेली महिला बाइकर बन गई हैं. इस अभियान को सीमा सड़क संगठन (बोर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) के महानिदेशक (डीजीबीआर) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के अध्यक्ष एसएम वैद्य ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाई. सुश्री कंचन उगुरसंडी ने 18 पर्वतीय मार्ग पार कर 25 दिनों में यह दूरी तय की और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाए गए 19,300 फीट पर दुनिया के सबसे ऊंचे वाहन चलाने योग्य उमलिंगला दर्रे को पार किया. (नीचे पढ़े पूरी खबर)
अभियान के सफल समापन पर सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक (डीजीबीआर) ने बेहद कठोर इलाके से अभियान शुरू करने में उनके दृढ़ निश्चय और दृढ़ता के लिए मिस उगुसंडी की सराहना की और सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क अवसंरचना के विकास के लिए बीआरओ के कर्मयोगियों के साहस और सर्वोच्च बलिदान का सम्मान भी किया. एकल मोटरसाइकिल अभियान ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क और कोविड सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाई. डीजीबीआर ने कहा कि यह अनूठा मोटर साइकिल अभियान भारतीय महिलाओं के मजबूत संकल्प को दर्शाता है, जो अपने बारे में प्रचलित मिथ्या धारणाओं को तोड़ रही हैं और उन चुनौतियों का सामना कर रही हैं जिनका सामना अब तक नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि यह महिला सशक्तिकरण का भी द्योतक होगा. लौटकर आयी सुश्री कंचन उगुरसंडी को इंडिया ऑयल के चेयररमैन एसएम वैद्य और बोर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के डीजी बीआर लेफ्टिनेंट जेनरल राजीव चौधरी ने सम्मानित किया. इंडियन ऑयल की ओर से ढाई लाख रुपये का चेक दिया गया जबकि गिफ्ट के तौर पर एक हिमालयन बाइक भी गिफ्ट किया. (नीचे पूरी खबर पढ़े कहां की रहने वाली है यह लड़की)
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले की रहने वाली है कंचन उगुरसंडी
सुश्री कंचन उगुरसंडी मूलरुप से झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले की रहने वाली है. वह हो समाज से आती है. वह सरायकेला के बिदरी गांव की निवासी है. उनके पिता घनश्याम उगुरसंडी भारतीय रेल में खड़गपुर में पदस्थापित है. उनकी मां मुन्नी उगुरसंडी घरेलू महिला है. उनका एक भाई है. उसने खड़गपुर से ही स्कूली शिक्षा ग्रहण की और फिर बंगलुरु चली गयी थ. बंगुलुर में उसने स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद रह दो साल से नयी दिल्ली के म्यूनिसिपल कारपोरेशन डिपार्टमेंट (एमसीडी) में काम कर रही है. वह स्वास्थ्य के क्षेत्र में फार्मासिस्ट के तौर पर दो साल में काम कर रही है और कोरोना काल में काफी ज्यादा लोगों की सेवाएं की है. उसने बताया कि वह एक साल पहले ही बाइक के शौक को बढ़ाया और दो साल के बाद ब्रेक लेने के लिए उस साहसिक कदम के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा, जिसके बाद वह इस साहसिक यात्रा को पूरी कर सकी. कंचन उगुरसंडी ने बताया कि माइनस 40 डिग्री सेल्सियस के ठंड में वह हिम्मत के साथ गयी. उन्होंने बताया कि यह सही है कि डर के आगे जीत है और उसी जज्बा के साथ उसने कदम बढ़ाया और उसने कहा कि वह नामुमकिन नहीं जानती है, बस मुमकिन करना जानती है. वह अब गंगा यात्रा गंगोत्री से गंगासागर और फिर दिल्ली से अरुणाचल और पूरे भारत के टूर पर जाने वाली है, जिसका स्पांसर इंडियन ऑयल कर रहा है. दिल्ली से अरुणाचल की यात्रा को बोर्डर रोड आर्गेनाइजेशन स्पांसर कर रहा है.