रांची : झारखंड के इतिहास में पहली बार किसी विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता सेनानी सह चुआड़ विद्रोह के क्रांतिवीर अमर शहीद रघुनाथ महतो के 285वीं जयंती पर उनके फोटो पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजनकर्ता बबलू महतो और उसके टीम के द्वारा किया गया.इस कार्यक्रम की शुरुआत कुड़माली कवि सह भुतपुर्व मौसम वैज्ञानिक रतन सत्यार्थी महतो ने कहा कि रघुनाथ महतो अंग्रेजों को टैक्स देने का नियम को विरोध किया तथा ये गुरिल्ला युद्ध तथा रणनीति पर काम करते थे और अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देते थे.(नीचे भी पढ़े)
ये लोग हमेशा तीर – धनुष, टांगा – फारसा आदि पारंपरिक हथियार के साथ युद्ध करने का काम किया और ब्रिटिशों से लोहा लेते हुए लोटा गांव में शहीद हुए. साथ ही डीएसपीएमयू रांची के खोरठा के एचओडी डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि हमें वीर शहीद रघुनाथ महतो के नक्शे कदम पर चलने की जरूरत है. रघुनाथ महतो ब्रिटिश सरकार को अपने आंदोलन से चकनाचूर करने का काम किया था। हमें झारखंड के सभी शहीदों के बारे में जानने और नए सिरे से इतिहास लिखने की आवश्यकता है क्योंकि इतिहास में हमारे झारखंड के वीर शहीदों का नाम उस तरह से नहीं मिलता जिस तरह से मिलना चाहिए. इन्होंने कैसे बनाएंगे झारखंड, मिलकर बनाएंगे झारखंड का नारा भी दिया. कुड़माली के एचओडी डॉ. पीपी. महतो ने कहा कि हमें वीर शहीद रघुनाथ महतो की तरह हमें संघर्षशील बने रहने की जरूरत है.(नीचे भी पढ़े)
हिन्दी के एचओडी डॉ. जिंदर सिंह मुंडा ने कहा कि अगर हम झारखंड के इतिहास के बारे बात करें तो आजादी के आंदोलन पहला चरण 1757 ई. से 1947 ई. तक संघर्ष चला तथा दुसरा चरण 1947 से 2000 तक चला जिसको हम लोग झारखंड आंदोलन के नाम से जानते हैं फिर 2000 से 2023 तक तीसरा चरण यानि झारखंडी कभी भी गुलामी स्वीकार नहीं किया है. हमेशा से यहां के पुरजोर तरीके से विरोध करने का काम किया है. चुआड़ विद्रोह, टाना भगत विद्रोह तथा आज के खतियानी आंदोलन को देखकर पता लगाया जा सकता है कि किस तरह से झारखंड के लोग हमेशा से आंदोलकारी, क्रांतिकारी रहे हैं.इसके अलावा छात्र नेता देवेन्द्र नाथ महतो, संतोष महतो, कव्या लक्ष्मी महतो ने अपने अपने विचार रखे. राजीव कुमार महतो ने शहीद रघुनाथ महतो का स्वरचित गीत प्रस्तुत किया. (नीचे भी पढ़े)
मंच का संचालन धनेश्वर महतो ने किया.मौके पर पंच परगनिया के प्रोफेसर विक्रम सेठ, लक्ष्मीकांत प्रमाणिक, शोधार्थी रूपेश कुशवाहा, अशोक कुमार पुराण, बबलू महतो, रिशभ, कमलेश, करम, पंकज, हेमंत, सुकुमार, जगतपाल, महिपाल, विवेक, ज्योतिष, प्रणव, रवि रोशन, चुनीलाल, शीतल, पुर्णिमा, रिया, दीप आदि विश्वविद्यालय के छात्र – छात्राएं मौजूद थे.