खबरjharkhand rail roko andolan- झारखंड में रेल रोको आंदोलन, नीमडीह में लाठी...
spot_img

jharkhand rail roko andolan- झारखंड में रेल रोको आंदोलन, नीमडीह में लाठी चार्ज, आंदोलनकारियों ने भी किया पथराव, निषेधाज्ञा, जानें क्या है मामला

राशिफल

चांडिल: आदिवासी कुड़मी समाज द्वारा तीन सूत्री मांगों को लेकर आहूत रेल टेका- डहर छेंका आंदोलन के दौरान बुधवार को नीमडीह स्टेशन के समीप भगदड़ मच गयी. पुलिस आंदोलनकारियों को रेलवे ट्रैक पर जाने नहीं दे रही थी. दूसरी ओर आंदोलनकारी ट्रैक पर जाने के लिए अड़े रहे. इसके बाद आंदोलनकारियों ने पुलिस घेरा तोड़ कर आगे बढ़ाने का प्रयास किया. इस दौरान आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिस ने लाठी चार्ज किया. इसके बाद वहां पर भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी. पुलिस की ओर से लाठी चार्ज करने के विरोध में आंदोलनकारियों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पथराव शुरु कर दिया. इस दौरान दोनों ओर से कई लोगों के घायल होने की खबर है. इसके बाद घायलों को सीएचसी रघुनाथपुर लाया गया जहां पर उनका प्राथमिक उपचार भी किया गया. (नीचे भी पढ़े)

पुलिस वहां पर स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए तैनात की गयी है. सुरक्षा के मद्देनजर सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है. लाठी चार्ज और पत्थरबाजी होने के कुछ देर पहले ही चांडिल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी संजय कुमार सिंह आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे. वहीं लाठी चार्ज होने की सूचना मिलते ही चांडिल के अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा भी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने घटना की जानकारी लेते हुए आंदोलनकारियों को बताया कि पूरे क्षेत्र में घारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है. फिलहाल आंदोलन कारी पीछे हटकर एकत्रित हुए हैं.रघुनाथपुर सड़क व नीमडीह स्टेशन के दोनों ओर आंदोलनकारी अभी भी जमे हुए है. (नीचे भी पढ़े)

इधर लाठी चार्ज की घटना में नीमडीह के ग्राम प्रधान श्यामल महतो को पैर में चोट आयी है. प्राथमिक उपचार के बाद वे आंदोलनकारियो के साथ डटे गुए है. दूसरी ओर पत्थरबाजी की घटना में आरपीएफ के इंस्पेक्टर को चोट लगने की खबर है. कई जिलों में इसका असर दिखने लगा है. सरायकेला- खरसावां के नीमडीह स्टेशन के पास भारी संख्या में कुड़मी समाज के लोग जुटे हुए है. इसी तरह पश्चिमी सिंहभूम के सोनुआ थाना के पास पुलिस से कुछ लोगों के झड़प की भी खबर है. सोनुआ से भी सैकड़ों महिला-पुरुष छोटे बड़े वाहनों में सवार होकर घाघरा पहुंचे और ट्रैक को जाम कर दिया है.(नीचे भी पढ़े)

क्या है मामला: तीन राज्यों में कुड़मी समाज के लोगों का यह तीसरी बार हो रहा है. केंद्र से उनकी मांग है कि उन्‍हें आदिवासी का दर्जा दिया जाए. फिलहाल ये लोग ओबीसी वर्ग के दायरे में आते हैं. संगठनों की मानें तो यह समुदाय झारखंड का है, लेकिन यहीं के लोग इन्हें स्वीकार नहीं करते. बंगाल और ओडिशा में भी कुड़मी वर्ग की बड़ी आबादी है. ऐसे में उन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए. एक अनुमान के मुताबिक, झारखंड में कुड़मी समाज के लोगों की आबादी 22 प्रतिशत है. कुड़मी समाज के लोगों ने बंगाल में आंदोलन वापस ले लिया है. बंगाल में समाज के प्रमुख नेता अजीत महतो ने कहा कि हम पर दबाव बनाया गया है. हाईकोर्ट की राय और वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बंगाल में आंदोलन वापस ले लिया जा रहा है.

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!