रांची : झारखंड हाईकोर्ट में रांची हिंसा को लेकर दायर जनहित याचिका को लेकर चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और सुजीत नारायण प्रसाद ने संयुक्त रुप से सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस दिया है और उसका जवाब देने को कहा है. अदालत ने सरकार से पूछा है कि एक साथ 10 हजार लोग कैसे रांची की सड़कों पर जमा हो गये. हिंसा में कितने लोगों की जान गयी, कितने लोग घायल हुए, कितनी गोलियां चली, आंसू गैस या वाटर कैनन का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया. हाईकोर्ट में आश्चर्य जताते हुए कहा है कि आपने एक्शन कैसे ले लिया. गोली चलाने के अलावा क्या कोई विकल्प नहीं था. आपको बता दें कि आरटीआइ एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता पंकज यादव ने झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है. पंकज यादव के अधिवक्ता राजीव कुमार ने इस मामले की जल्द सुनवाई के लइए अदालत से आग्रह किया था. इसको कोर्ट ने स्वीकार करते हुए शुक्रवार को सुनवाई की तिथि तय की थी.
हिंसा के मास्टरमाइंड को लेकर सरकार ने यह दलील दी है
रांची हिंसा के मास्टरमाइंस नवाब चिश्ती पर सरकार की ओर से सफाई दी गयी है. सरकार की ओर से कहा गया है कि मंत्री के साथ भले ही नवाब की तस्वीर हो, लेकिन मंत्री की नवाब के साथ कोई जान पहचान नहीं है. इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि घटना के तार बड़े लोगों के साथ जुड़े हुए हैं. कोई किसी के साथ कैसे फोटो खिंचवा सकता है. वहीं पोस्टर मामले पर कोर्ट ने कहा कि पोस्टर लगना चाहिए या नहीं, इस पर कोर्ट फैसला नहीं लेगी. इस मामले पर सरकार को जवाब देना है. मंदिर पर हुए हमले पर भी हाईकोर्ट में जवाब मांगा है और कहा है कि इंटीलिजेंस को मामले की जानकारी थी या नहीं. सरकार इसकी भी जानकराी साझा करें.