रांची : झारखंड में रजिस्ट्री को लेकर एक नया आदेश जारी किया गया है. रजिस्ट्रार को यह कहा गया है कि एक चेकलिस्ट के माध्यम से पहले सारे दस्तावेजों की जांच कर लें, उसके बाद ही रजिस्ट्री करें. हालांकि, रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार को भूमि की पहचान के क्रम में स्वत्व यानी टाइटल की जांच नहीं करने को कहा गया है. निबंधन महानिरीक्षक (आइजी रजिस्ट्रेशन) विप्रा पाल की ओर से जारी आदेश में सभी जिले के उपायुक्त सह जिला निबंधिक और सह निबंधकों को कहा गया है कि निबंधन (रजिस्ट्री) के पहले निबंधन पदाधिकारी द्वारा हस्तांतरित होने वाली भूमि की पहचान की जायेगी, जिससे प्रतिबंधिक श्रेणी की भूमि या गैरमजरुआ भूमि, वन भूमि आदि का अवैध हस्तांतरण न हो और छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 (सीएनटी एक्ट) के अंतर्गत वर्णित प्रोटेक्टेड रैयात की भूमिका का अवैध हस्तांतरण ना हो. यह कहा गया है कि हस्तांतरित होने वाली भूमि की पहचान के लिए निबंधन कराने वाले द्वारा खतियान की सत्यापित प्रति प्रस्तुत की जायेगी और खतियान उपलब्ध नहीं होने की स्थित में अंचलाधिकारी (सीओ) द्वारा प्रमाणित पंजी-2 अथवा भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र अथवा शुद्धि पत्र दस्तावेज के साथ संलग्न किया जायेगा. इसके अलावा यह कहा गया है कि निबंधन के क्रम में निबंधन पदाधिकारी निबंधन के लिए प्रस्तुत दस्तावेज के साथ संलग्न भूमि अभिलेखों का ऑनलाइन सत्यापन भी करेंगे. यह भी कहा गया है कि निबंधन पदाधिकारी के कार्यालय में एक चेक लिस्ट संधारित किया जाये और दस्तावेज निबंधन के पहले कार्यालय के दस्तावेज जांच लिपिक और निबंधन पदाधिकारी द्वारा चेक लिस्ट को टिक मार्क किया जाये. भूमि की पहचान के दौरान निबंधन पदाधिकारी पक्षकार के स्वत्व यानी टाइटल की जांच नहीं करेंगे. यह कहा गया है कि पहले चेक लिस्ट के सारे दस्तावेजों की जांच कर उसको टिक करें और सही पाने पर ही इस दस्तावेज के साथ विभागीय पोर्टर एनजीडीआरएस में अपलोड करें.
इन सारे दस्तावेजों की जांच और दस्तावेजों को प्रस्तुत करना जरूरी है
* खतियान की सत्यापित प्रति
* खतियान उपलब्ध नहीं होने की स्थित में अंचल कार्यालय से इ मेल के माध्यम से अंचलाधिकारी द्वारा प्रमाणित पंजी 2 अथवा भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र अथवा शुद्धि पत्र या अंचलाधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र अप्राप्त रहने की स्थिति में पक्षकार द्वारा अंचल कार्यालय में आवेदन समर्पित करने की प्राप्ति रसीद
भूमि से संबंधित हाल सर्वे नक्शा और इसके उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में पक्षकार द्वारा तैयार स्वप्रमाणित नजरी नक्शा, जिससे भूमि की अवस्थिति के संबंध में पता चल सके.
* पंजी 2 का वाल्यूम संख्या और पृष्ठ संख्या का वर्णन
* मुद्रांक शुल्क का भुगतान
* निबंधन शुल्क का भुगतान
* आधार सत्यापन
* पैन सत्यापन
* होल्डिंग संख्या का वर्णन शहरी क्षेत्र होने की स्थिति में