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jharkhand-river-pollution-विधायक सरयू राय के नेतृत्व में चार संस्थाओं के वैज्ञानिक दलों ने स्वर्णरेखा के मैला होने का खोजा कारण, रांची शहर और जमशेदपुर शहर के बीचोबीच पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित, जाने 22 से 27 मई तक चले अभियान में नदी की कहां क्या पायी गयी स्थिति

राशिफल

जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय के नेतृत्व में स्वर्णरेखा प्रदूषण समीक्षा यात्रा 22 से 27 मई तक की गयी. इसमें युगान्तर भारती, नेचर फाउंडेशन, स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट, स्वामी विवेकानन्द ग्रामीण संस्था के सदस्यों के अलावे वैज्ञानिकों के दल ने भाग लिया. इसकी जानकारी सरयू राय ने संवाददाता सम्मेलन कर दी. जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित अपने आवासीय कार्यालय में सरयू राय ने इसकी पूरी रिपोर्ट को सार्वजनिक की. श्री राय ने बताया कि 22 मई को स्वर्णरेवा नदी के उदगम स्थान रानीचुआ (नगड़ी) में पूजन के पश्चात नदी के किनारे अवस्थित राईस मिलों से निकलने वाली अपशिष्ट का नदी पर प्रभाव देखा गया. राईस मिलों द्वारा किये गये प्रदूषण का असर धुर्वा डैम तथा गेतलसुद डैम तक पाया गया. धान के भूसी द्वारा हवा तथा जल दोनों प्रदूषित पाये गये. मनुष्यों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. ग्रामीणों के द्वारा बतलाया गया कि उनकी आंखों में 4-5 दिनों तक जलन होती है तथा पानी में जली भूसी से खुजली होती है. रांची शहर से निकलने के स्थान पर स्वर्णरेखा अत्यंत गंदी हो जाती है क्योंकि शहर का पूरा जल-मल बिना किसी उपचार के स्वर्णरेखा में आता है. रांची शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं होने के कारण नालों से गिरने वाला जल नदी को अत्याधिक प्रदूषित कर रहा है. नदी के किनारे अवस्थित गांवों के निवासियों को बोरिंग पानी में भी प्रदूषण मिल रहा है. उनमें अनेक प्रकार की बीमारियों हो रही है. जलीय जीव-जन्तु विशेषकर मछलियां लुप्त हो गयी है. उन्होंने बताया कि मुरी में औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रित पाया गया लेकिन यहां भी नगर का जल-मल नदी में बिना उपचार के गिराया जाता है जो नदी के पानी को प्रदूषित कर रहा है. प्रदूषण का प्रभाव चांडिल डैम आते-आते समाप्त हो जाता है लेकिन जैसे ही नदी औद्योगिक नगरी जमशेदपुर पहुंचती है उसका पानी पुनः प्रदूषित हो जाता है. मुसाबनी में नदी का पानी फिर अपेक्षाकृत ठीक पाया गया. यहां पर न तो औद्योगिक प्रदूषण, न ही नगरीय प्रदूषण देखा गया. मऊभंडार में बंद पड़े एचसीएल कारखाने में जमा अपशिष्ट से लोहा रिस-रिस कर नदी में जा रहा है जो चिंता का विषय है. श्री राय ने बताया कि जमशेदपुर के शहरी इलाके के बड़ौदा घाट तथा बेली बोधनवाला घाट का पानी अत्यंत प्रदूषित पाया गया है. यहां पर सेडीमेंट में जलील जीव-जंतु लुप्त हो गये हैं तथा यह एक जलीय मरूभूमि बन गया है. 27 मई को दोमुहानी नदी, पांडेय घाट (बस स्टैंड के पास), बारीडीह मीरा पथ, मोहरदा जलापूर्ति इंटकवेल के पास नमूना लिया गया. हर एक स्थान पर म्यूनिसिपल सीवेज का प्रदूषण भारी मात्रा पाया गया, उसके कारण पानी अत्यंत दूषित पाया गया. मोहरदा जलापूर्ति इंटकवेल के पास पानी में घुले ऑक्सीजन की मात्रा भी काफी कम पायी गयी. श्री राय के साथ मौजूद पर्यावरणविद् एमके जमुआर ने बताया कि बड़े औद्योगिक इकाईयों द्वारा नदी में प्रदूषण का भार पहले की अपेक्षा कम किया गया है. लेकिन एम/एस यूएमआईएल, टाटीसिलवे को इसमें और पहल करने की आवश्यकता है. नगड़ी तथा उसके आस-पास अवस्थित राईस मिल के द्वारा बेतहाजशा प्रदूषण फैलाया जा रहा है जिससे हवा, जल तथा जमीन सभी पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा है. जेएसपीसी बोर्ड द्वारा दिये गये सीटीओ के निर्देशों की पूर्ण अवहेलना की जा रही है. रांची तथा जमशेदपुर शहर में पानी अत्यंत प्रदूषित हो रहा है जो एक मेजर फैक्टर है. पानी पर ही मनुष्यों का जीवन निर्भर है इसका ऐसा प्रदूषण चिंता का विषय है. नदियों और नालों में बढ़ते अतिक्रमण के कारण प्रदूषण की स्थिति और विकराल होती जा रही है. नदियों को सेल्फ क्लीनिंग एण्ड सेल्फ ट्रीटमेंट के लिए स्थान नहीं मिल रहा है। साथ ही नदी में पानी की मात्रा भी कम होते जा रही है.

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