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jharkhand-scam-झारखंड में रघुवर सरकार की गड़बड़ियों का पिटारा अब खुलने लगी, जुडको के माध्यम से आदित्यपुर में बड़ी गड़बड़ी, करोड़ों का घोटाला, मुख्य ठेका वाली कंपनी गायब, जानियें क्या है पूरा मामला

राशिफल

काम की रफ्तार.

सरायकेला : ये है सरायकेला- खरसावां जिले का आदित्यपुर नगर निगम. पिछली सरकार ने निगम क्षेत्र के लोगों को बड़ी सौगात देते हुए लगभग चार सौ करोड़ की योजना दी थी, जिससे पूरे निगम क्षेत्र में सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम के अलावा पानी की समस्या से लोगों निजात मिलना था. जोर- शोर से काम भी शुरू हो गया, लेकिन तय समय में दोनों योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी. आलम ये है कि पूरा निगम क्षेत्र गड्ढों में तब्दील हो गया. वर्तमान में न सरकार का योजना में नियंत्रण नजर आ रहा, न ही निगम प्रशासन का. जहां नगर निगम का कहना है कि यह योजना जुडको यानी झारखंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड का है नगर निगम का इससे कोई लेना देना नहीं. जब योजना नगर निगम को हस्तांतरित की जाएगी तब इसपर नियंत्रण निगम का होगा. उधर जुडको के साथ हुए एमओयू के तहत सापुड़जी पालोनजी को सीवरेज ड्रेनेज का काम करना है और जिंदल को पाइपलाइन का. निगरानी जुडको करेगी. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इतनी बड़ी परियोजना पर काम चल रही है, और जिंदल ने सारे काम पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर दे दिया है. जहां स्थानीय कॉन्ट्रैक्टर अपने मजदूरों से काम करवा रहे हैं. जबकि एमओयू में साफ निर्देश दिया गया है कि छोटे- मोटे काम पेटी पर कराया जा सकता है वो भी कुशल कामगारों से. लेकिन ऐसा कहीं भी नजर नहीं आ रहा.

चल रहा काम आधा-अधूरा.

किसी भी वार्ड में जिंदल के न इंजीनियर नजर आए, न कर्मचारी और न ही मशीनरी. इस संबंध में जब हमने जुडको के अधिकारियों से बात करना चाहा तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि हम इसके लिए अधिकृत नहीं हैं. वहीं स्थानीय पार्षद अपने वार्ड की दुर्दशा पर चिंतित हैं. क्योंकि उन्हें अगली बार जनता के समक्ष इसका हिसाब भी देना होगा. जबकि आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रहे पुरेंद्र नारायण सिंह ने इसकी शिकायत वर्तमान सरकार से किए जाने की बात कही है. वैसे उन्होंने इसके पीछे बड़े खेल से इनकार नहीं किया है. ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर स्थानीय ठेकेदार और उनके संरक्षक कौन हैं ? आखिर किसके इशारे पर जिंदल जैसी कंपनी काम खुद ना कर स्थानीय ठेकेदारों को पेटी पर काम देकर अपना पल्ला झाड़ रही है.

एमओयू और नियम शर्त.

वैसे इतनी बड़ी योजना को धरातल पर उतारने से पहले क्या पार्षदों नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर को भरोसे में लिया गया ? क्या योजना से संबंधित पूरी जानकारी इन माननीयों को दी गई ? अगर दी गई तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर नहीं दी गई तो उसके लिए जिम्मेदार कौन है ? निश्चित तौर पर नगर विकास विभाग में एक बड़ा घालमेल पिछली सरकार के कार्यकाल में हुआ है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि योजना अभी भी अपने लक्ष्य से कोसों दूर है. फिलहाल वर्तमान सरकार को इस पूरे मामले पर संज्ञान लेने की जरूरत है क्योंकि पिछली सरकार ने क्षेत्र की जनता को मालदह आम खिलाने का वायदा किया था लेकिन मालदह आम कोई और खा गया, जनता बिज्जू आम खाने को विवश हो गयी वो भी कब तक मिलेगा इसकी गारंटी नहीं.

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