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jharkhand-shahid-parivar-revolt-झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया शहीद का अपमान, शहीद के परिजनों ने अपने आपको कमरे में किया बंद, कहा-जब तक सीएम नहीं आयेंगे, तब तक नहीं होगी कोई बात

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बहरागोड़ा: बहरागोड़ा प्रखंड के कोसाफलिया गांव में आज शहीद गणेश हांसदा की मूर्ति का अनावरण और स्मारक स्थल का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों होना था. परंतु सीएम का कार्यक्रम किसी कारणवश रद्द हो जाने से शहीद गणेश हांसदा के पिता सुगदा हांसदा,मां कापरा हांसदा और भाई दिनेश हांसदा समेत अन्य परिवार के लोग खुद को एक कमरे में बंद कर लिया है.(नीचे भी पढ़े)

परिजनों से जब बात करने की प्रयास की गई तो शहीद गणेश हांसदा के भाई दिनेश हांसदा ने कहा कि जबतक सीएम हेमंत सोरेन नही आएंगे तबतक किसी से कोई बात नही होगी कह कर कमरें में चलें गए. परिजनों के मूर्ति अनावरण स्थल पर नही जाने के कारण सीएम के अनुपस्थित पर मंत्री चंपई सोरेन, विधायक समीर महंती,रामदास सोरेन,सविता महतो,मंगल कालिंदी करीब 40 मिनट इंतेजार करने के पश्चात सभी मूर्ति का अनावरण किए बगैर सभी बहरागोड़ा चले गए.(नीचे भी पढ़े)

वही सीएम के कार्यक्रम को लेकर शहीद गणेश हांसदा स्मारक समिति के तत्वावधान में जोर शोर से तैयारियां की गई थी.कोसाफलिया गांव में सीएम हेमंत सोरेन के कार्यक्रम को लेकर भव्य पंडाल का निर्माण किया गया था. अचानक सीएम के कार्यक्रम स्थगित होने के कारण शहीद के माता पिता और भाई नाराज होकर मूर्ति अनावरण स्थल नही पहुंचे जिसके कारण काफी देर तक परिवार के लोगों का आने का इंतेज़ार कर रहे मंत्री चंपई सोरेन समेत अन्य विधायक मूर्ति का अनावरण किए बगैर वहां से चले गए. वही सीएम हेमंत सोरेन के कार्यक्रम को लेकर विभिन्न गांवों से पहुंचे हजारों ग्रामीण पंडाल के अंदर सीएम की संबोधन सुनने के लिए इस भीषण गर्मी में पंडाल में बैठे रहे और जब पता चला कि सीएम या अन्य नेता नही आ रहे हैं मंच पर तब ग्रामीण मायूस हो कर लौट गए.(नीचे भी पढ़े)

गांव में महिलाएं सीएम समेत अन्य अतिथियों के स्वागत के लिए हाथों में फूल की थाली लें घंटों खड़ी रही.शहीद गणेश हांसदा की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम को लेकर आज सीएम हेमंत सोरेन समेत अन्य अतिथियों का आगमन था. सभी अतिथियों के स्वागत के लिए गांव की महिलाएं और युवतियां परंपरागत भेष में सज धजकर गांव की सड़क पर घंटों हाथों में फूल की थाली लिए घंटों प्रतीक्षा की. महिलाओं को जब पता चला कि कोई अतिथि गांव नही आ रहे हैं तो मायूस होकर अपने अपने घर लौटी.

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