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Jharkhand- विश्व रेबीज दिवस पर नामाकुम में राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित

राशिफल

कुत्ता के काटने पर कम से कम 15 मिनट बहते हुए साफ पानी से धोएं, रेबीज टीकाकरण के पूरा डोज लगाए

रांची: 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस के मौके पर बुधवार को नामकुम स्थित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के आईपीएच सभागार में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सभी कार्यक्रम पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी एवं सभी कोषांग के परामर्शी एवं समन्वयक उपस्थित हुए. डॉ प्रवीण कर्ण ने कार्यक्रम का संचालन किया.

लायसा वायरस से संक्रमित जानवरों के काटने से होता है रेबीज – डॉ प्रदीप

राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि फ्रांसिसी माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुईस पाश्चर के द्वारा रेबीज टीका का खोज किया गया था, जिनका देहांत 28 सितंबर 1955 को हुआ था. उन्हीं की याद में 28 सितंबर 2007 से विश्व रेबीज दिवस माना जा रहा है. वन हेल्थ जीरो डेथ्स इस वर्ष का थीम रखा गया है. यह एक जुनेटिक डिजीज है. लायसा वायरस से संक्रमित कुत्ते, बिल्ली, बंदर, सियार आदि के द्वारा काटने से रेबीज बीमारी से संक्रमित हो जाते हैं. नगर निगम, पशुपालन विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से लोगों में जागरूकता लाने पर कुत्तों के काटने की संख्या में कमी लाई जा सकती है. (नीचे भी पढ़े)

जब तक छेड़ेंगे नहीं जानवर काटेंगे नहीं – डॉ हिमांशु

आईपीएच डायरेक्टर डॉ हिमांशु बरवार ने कहा कि लायसा वायरस से इंफेक्टेड जानवर के काटने से यह बीमारी होती है. जब तक हम जानवर को छेड़ेंगे नहीं तब तक वह नहीं काटता है. विशेषकर जानवरों को भोजन, प्रजनन के समय छेड़ने से काटता है. आजकल एग्रेसिव जानवरों को पालने का क्रेज बढ़ा है, अगर समय रहते इन पालतू जानवरों को टीकाकरण कर दिया जाए तो बहुत हद तक इस बीमारी से बचाव हो सकता है.

अवेयरनेस जरूरी – डॉ मार्शल

निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ मार्शल आइंद ने कहा कि रेबीज से बचाव के लिए अवेयरनेस जरूरी है. स्ट्रीट डॉग्स की संख्या घटेगी तो निश्चित ही रेबीज के केस कम आएंगे. स्ट्रीट डॉग्स के जेनरेशन कंट्रोल पर ध्यान देने की जरूरत है. निदेशक, स्वास्थ्य निदेशालय डॉ सीपी चौधरी ने कहा कि रेबीज के नियंत्रण के लिए ग्रामीण भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत है. कुत्ते, बंदर, बिल्ली जैसे जानवरों के काटने या खुरचने पर अस्पताल जा कर चिकित्सक से सलाह लेने की जरूरत है. इन जानवरों के काटने के बाद झाड़-फूंक से बचें. गोबर, मिर्च, मिट्टी जैसी चीजों को लेप कतई नहीं करना चाहिए. मौके पर उन्होंने डॉग बाइट ग्रेडिंग की भी जानकारी दी. (नीचे भी पढ़े)

झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं पड़ें – डॉ वीके सिंह

उपनिदेशक डॉ वीके सिंह ने कहा कि कुत्ता के काटने के बाद वह भाग गया हो और उसकी पहचान नहीं हो पाई हो तब भी अस्पताल जा कर चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए. झांड़-फूंक के चक्कर में तो कतई ही नहीं पड़ना चाहिए. रेबीज का बचाव सिर्फ टीकाकरण ही है.

काटने के बाद जानवर की निगरानी जरूरी – डॉ स्मिति

रिम्स के प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसीन की डॉ स्मिति नारायण ने रेबीज कैसे होता है, लक्षण, बचाव एवं टीकाकरण के बारे में जानकारी दी. एक बार रेबीज होने के बाद मरीज की मौत निश्चित है, इसलिए रेबीज को गंभीरता से लेने की जरूरत है. संक्रमित कुत्ता, बिल्ली, बंदर, लोमड़ी, सियार, भालू जैसे जानवरों के काटने से रेबीज हो जाता है. जानवरों द्वारा मनुष्य को काटने के बाद जिस जानवर से काटा उसकी निगरानी जरूरी है. जैसे जानवर के व्यवहार में बदलाव, इधर-उधर दौड़ रहा है या मुंह से थूक ज्यादा आ रहा है तो जानवर में रेबीज होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. जानवर जहां काटा है, नर्व द्वारा शरीर में बढ़ता है. जानवर के काटते ही कम से कम 15 मिनट तक बहते साफ पानी से साबुन से धोएं और नजदीकी अस्पताल में चिकित्सक की सलाह पर संपूर्ण टीकाकरण कराएं. धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

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