गिरीडीहः झारखंड के गिरीडीह के महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की बंद तिजोरी का रहस्य अब तक किसी ने नहीं जान पाया है कि उनके तिजोरी में आखिर है क्या, जो अब तक रहस्य का विषय है. इसे खोलने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कमाम आने वाले थे परन्तु उसके पहले ही उनकी मृत्यु हो गयी. जगदीश चंद्र बोस का जन्म बंगाल प्रेसिडेंसी के मेमनसिंह ( बांग्लादेश) में हुआ था. उस दौरान गिरिडीह भी बंगाल प्रेसिडेंसी के अधिन आता था. उन्होंने पेड़- पौधों में रुचि अधिक होने के कारण वें वनस्पति विज्ञान की शोध किये थे. उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिन गिरिडीह में व्यतीत किये थे. उस समय उनके बंद तिजोरी का रहस्य आखिर क्या है इसका शोध अभी तक किसी ने नहीं किया है. उन्होंने ही बताया कि था पेड़-पौधे भी आम लोगों की तरह सांस लेते है और दर्द महसूस कर सकते है. उन्होंने अपने जीवन में फिजिक्स, बायोलॉजी और बॉटनी में की सफल शोध किये है. वहीं बोस पर लिखे गए कई आर्टिकल्स में ये कहा गया है कि उन्होंने ही माकोर्नी से पहले रेडियो का आविष्कार किया था, लेकिन 1901 में दुनिया के सामने पहली बार उन्होंने मॉडल पेश किया था. (नीचे भी पढ़ें)
जगदीश चंद्र बोस स्मृति विज्ञान भवन के नाम से जाना जाने लगा-
झंडा मैदान के पास स्थित जिस मकान में वो रहते थे, उसके बारे में पहले बहुत कम लोगों को पता था. बाद में जब सरकार के संज्ञान में आया तो गिरिडीह के तत्कालीन उपायुक्त केके पाठक के कार्यकाल में इसका अधिग्रहण कर लिया गया. इस भवन को जगदीश चंद्र बोस स्मृति विज्ञान भवन का नाम दिया गया. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल एआर किदवई ने 28 फरवरी 1997 को इसका उद्घाटन किया. वहां उनके भवन में वैज्ञान से जुड़े कई दस्तावेज भवन में मौजूद नहीं है, इसलिए लोगों को भवन में मौजूद तिजोरी को लेकर जानने की ज्यादा जिज्ञासा है.