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YOUTUBE POSITIVE EFFECT-झारखंड : चांडिल के इस किसान की हिम्मत देखिये, डोभा पानी बचाने के लिए बनाया गया, उसी डोभा में पैदा कर दी मोती, अब शुरू कर दी बढ़िया कारोबार

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सरायकेला के रंगामटिया से लौटकर संतोष कुमार की विशेष रिपोर्ट

सरायकेला : किसानों की आय दुगनी हो सकती है. केंद्र और राज्य सरकार के दावों में सच्चाई है. जरूरत है तो जज्बे की. ऐसा कारनामा कर दिखाया है झारखंड के सबसे पिछड़े जिले में से एक सरायकेला- खरसावां जिले के किसान सुभाष महतो ने. वो भी बगैर सरकारी सुविधा लिए अपने जुनून और जज्बे की बदौलत. आइये आपको बताते हैं किसान सुभाष ने कैसे अपनी आय को दुगुना कर झारखंड में नए उद्योग का रास्ता ढूंढा.
झारखंड को आमतौर पर लोग खनिज संपदाओं वाला राज्य के रूप में जानते हैं, जहां आयरन ओर की प्रचूर मात्रा में भंडार है. इससे यहां उद्योग-धंधे, कल-कारखानों का विकास तेजी से हुआ है. झारखंड के किसान जहां भगवान भरोसे अपने खेतों में धान- गेहूं आदि की खेती करते हैं और नफ़ा- नुकसान को नियति समझकर स्वीकार कर लेते हैं और फिर सरकार के भरोसे खुद को छोड़ देते हैं. लेकिन किसान सुभाष महतो ने इन सबके बीच एक ऐसा फैसला किया जिसमें जोखिम की अधिक संभावना थी, मगर लाभ खर्च से तीन गुणा ज्यादा जानकर सुभाष महतो ने रिस्क उठाने की ठानी और उन्होंने मोती उत्पादन करने का फैसला लिया. ये हैरान करने वाला फैसला माना जा सकता था, लेकिन इंसान के अंदर जुनून और जज्बा का ही परिणाम है कि उसने चांद पर आशियाना बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. यू-ट्यूब पर मोती उत्पादन कर आय को दुगना-तिगुना करने की जानकारी किसान सुभाष महतो को मिली, जिसका प्रशिक्षण उन्होंने कोलकाता में लिया और एक साल के अथक परिश्रम से छोटे से डोभा में करीब आठ हजार मोतियों का उत्पादन कर रहे है, जो अब तैयार होने को है. इसमें किसान सुभाष महतो ने ढाई लाख के आसपास पूंजी लगाई है. जबकि खुद किसान सुभाष बताते हैं कि इसमें उन्हें अनुमानित 12 से 13 लाख का आय प्राप्त होगा. वैसे झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के चमारु पंचायत के रंगामटिया गांव के किसान सुभाष महतो ने झारखंड के किसानों के लिए निश्चित तौर पर एक नजीर पेश की है. अगर राज्य सरकार इस दिशा में सार्थक पहल करे तो झारखंड का कुटीर उद्योग इस उद्योग में जबरदस्त तरक्की कर सकता है. और झारखंड के लोगों को मोती की खरीददारी के लिए दूसरे राज्य के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. जब किसान सुभाष महतो द्वारा छोटे से डोभा में करीब आठ हजार मोतियों का उत्पादन किया जा रहा है, जो अप्रैल – मई तक अपना रूप धारण कर लेगा. और उससे वे लाखों की आमदनी कर सकेंगे तो राज्य के अन्य किसानों को भी इस उद्यम को अपनाने का प्रयास करना चाहिए. श्री महतो के अनुसार वर्तमान में पूरे झारखण्ड में सिर्फ दो लोगों ने ही इसका उत्पादन शुरू किया है. इसमें एक वे स्वयं है, जबकि एक हजारीबाग का रहने वाला है. श्री महतो ने बताया कि उनके द्वारा किये जा रहे मोती उत्पादन से उन्हें क्षेत्र में एक अलग पहचान मिल रही है.

उनका कहना है की इंटरनेट से मिली मोती उत्पादन की जानकारी
कहा जाता है कि इंटरनेट का उपयोग लोगों के लिए अच्छा और बुरा दोनों होता है. अगर इंटरनेट का सदुपयोग किया जाये तो लोगों को अपने जीवन में इसका लाभ भी मिलता है. श्री महतो बताते है कि इंटरनेट के माध्यम से उन्हें सीप मोती उत्पादन किये जाने की जानकारी मिली. इसके बाद इंटरनेट में बताए गए पते पर संपर्क कर उन्होंने मोती उत्पादन का प्रशिक्षण लेने की इच्छा जताई, जिसे प्रशिक्षकों ने स्वीकार कर लिया. श्री महतो ने बताया कि इसी वर्ष जनवरी माह में वे कोलकाता के मेचोदा नामक जगह पर 15 दिनों का प्रशिक्षण लेकर परीक्षण के तौर पर शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि अगर वे इसमें सफल हो जाते हैं तो अगले साल से युवाओं को प्रशिक्षण देकर सीप मोती उत्पादन के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे. उनका कहना है कि सरकारी स्तर पर सहयोग नहीं मिलने की वजह से कभी-कभी आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ती हैं, लेकिन इससे उनका मनोबल नहीं टूटता है. झारखंड में इसका उत्पादन नहीं होने के कारण उन्हें कोलकाता से ही सीप (झिनुक) व कच्चा पाउडर व अन्य सामग्री लाना पड़ता है. इसके बाद कच्चा पाउडर को लॉकेट रूप देकर सांचा से हर धर्म के लोगों के लिए मोती का बीजा तैयार कर मोती बनने के लिए चिप में डाला जाता है. सीप मोती समुद्र में रहने वाले घोंघा प्रजाति के एक छोटे से प्राणी के पेट में बनते हैं. वे कोलकाता से सीप लाने के बाद उसे एक सप्ताह तक डोभा में पानी सूट करने के लिए छोड़ते है. उसके बाद उसे बाहर निकालकर सर्जरी के माध्यम से लॉकेट आकार के मोती का बीजा को सीप में प्रवेश कराते है. उसके बाद कुछ दिन तक एंटी बाइटिक पानी में रखा जाता है. उसके बाद उसे पानी में छोड़ दिया जाता है. ऐसी अवस्था में सीप में डाले गये बीजा में एक विशेष पदार्थ की परत चढ़ती रहती है. यह विशेष पदार्थ कैल्शियम कार्बोनेट होता है, जोकि उस जीव के अंदर पैदा होता है. धीरे-धीरे यह एक सफेद रंग के चमकीले गोल आकार का पत्थर जैसा पदार्थ बन जाता है, जिसे मोती कहते हैं. माना जाता है कि प्राकृतिक रूप से तैयार मोतियों के उपयोग से मन व दिमाग शांत रहता है.

सरकारी सहायता के नाम पर जुर्माना
किसान सुभाष महतो ने बताया कि इस उद्योग को शुरू करने में उन्होंने अपने घर की पूंजी लगाई, स्थानीय विधायक दशरथ गागराई से मदद मांगा उन्होंने डीप बोरिंग करा दिया अपना कॉमर्शियल बिजली कनेक्शन रहने के बावजूद बिजली विभाग द्वारा पच्चीस हजार का जुर्माना लगाया गया, लेकिन तरक्की के मार्ग में बाधा से लड़ने के लिए मैं तैयार नहीं था अन्यथा पूरा मेहनत बर्बाद हो सकता था इसलिए जुर्माना भरकर आगे बढ़ गया. किसान सुभाष महतो ने सरकार से ऐसे मामलों में किसानों के साथ सहानुभूति दिखाने की उम्मीद जताई है.

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