खबरjharkhand-swarnarekha-project-झारखंड की सुवर्णरेखा परियोजना, क्या है जमीनी हकीकत, जानिये वरिष्ठ पत्रकार बिनोद...
spot_img

jharkhand-swarnarekha-project-झारखंड की सुवर्णरेखा परियोजना, क्या है जमीनी हकीकत, जानिये वरिष्ठ पत्रकार बिनोद शरण की कलम से ग्राउंड रिपोर्ट, कब तक पूरी हो सकती है सुवर्णरेखा परियोजना

राशिफल

जमशेदपुर : झारखंड की सबसे बडी बहुउदेशीय सिचाई परियोजना सुवर्णरेखा परियोजना (एसएमपी) के तहत बनने वाला गजिया बराज और इससे निकलने वाली दायीं नहर ( राइट कैनाल) पूरी तरह बन कर तैयार है. करीब 500 करोड रुपये की लागत वाला गजिया बराज को एलएंडटी कंपनी ने तैयार किया है जबकि नहर का निर्माण कुछ अन्य एंजेसियों ने किया है. थोड़ा बहुत काम बाकी है, वह फिलहाल चल रहा है. संजय नदी और खरकई नदियों के मिलन स्थल के डाउन स्ट्रीम में बने इस बराज से 25 हजार हेक्टेयर खेतों की सिचाई होगी, जिससे मुख्य रूप से सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया व सरायकेला प्रखंडों में सिचाई हो सकेगी. इसके साथ ही शहरी क्षेत्र आदित्यपुर, गम्हरिया, कांड्रा व जमशेदपुर के कुछ भागों में पेयजल की समस्या दूर हो सकेगी. यहां से पेयजल के लिए पानी उलब्ध कराया जा सकेगा. इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों को भी पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा. इस परियोजना के पूरा होने से लाखों ग्रामीणों और शहरी क्षेत्र मे रहनेवाले लाखों को वरदान साबित होनेवाला है. उनका सालों पुराना सपना पूरा होनेवाला है. इस बराज के पूरा होने के लिए ग्रामवासी सालों से पलक पांवडे बिछाये बैठे थे. परियोजना को पूरा कराने में सुवर्णरेखा परियोजना के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने महती भूमिका निभायी है. हालांकि इस परियोजना के पूरा होने करीब तीस साल लग गये. कई मुसीबतों और झंझावातों गुजरते हुए आखिरकार गजिया बराज अपने मुकाम पर पहुंचा. जब गजिया बराज की 80 के दशक में बुनियाद रखी गयी थी, तब ये कहा गया था कि इसे तीन साल के अंदर पूरा करना है. लेकिन उस वक्त सुवर्णरेखा परियोजना को फँडिंग करने वाली एजेसी विश्व बैंक ने अचानक हाथ खडे कर दिये, जिसके बाद न केवल गजिया बराज का काम बल्कि, इस परियोजना के तहत बनने वाले चांडिल डैम, प्रस्तावित ईचा डैम के काम पर ग्रहण लग गया. बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के प्रयास से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय योजना में शामिल कराया और इसके बाद केंद्र से प्रयाप्त राशि मिनने के बाद परियोजना में गति आयी और इसी का परिणाम है कि गंजिया बराज बन कर तैयार है. गजिया बराज के पूरा होने पर परियोजना के पदाधिरियों में भी हर्ष है. परियोजना के पदाधिकारी कुमार अरविंद कहते हैं, ये परियोजना इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगी. ग्रमीण क्षेत्रों में सिचाई हो सकेगी, वहीं लोगों की पेयजल की समस्या दूर होगी. साथ ही उद्योगों को भी पर्याप्त मात्रा मे इंड्स्ट्रीयल वाटर भी मिल सकेगा. यानी तिहरा लाभ मिलनेवाला है,. इसके अलावा गजिया बराज से पर्यटन को भी लाभ होनेवाला है. इंजीनियर कुमार अरविंद कहते हैं कि गजिया बराज स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है. इसके माध्यम से स्थानीय लोगों को कई प्रकार के रोजगार भी उपलब्ध हो सकेंगे. हालांकि कुछ ग्रामवासी मुआवजे को लेकर आंदोलनरत है. और लगातार मुआवजे की मांग कर रहे हैं, साथ ही य सवाल उठा रहे हैं कि गजिया बराज का फाटक बंद होने से पानी का जमाव होगा और उनकी जमीन डूब जायेगी, घर मकान भी इसकी जद में आयेंगे. जबकि दूसरी ओर परियोजना के वरीय इंजीनियर कुमार अरविंद का कहना है कि 80 फीसदी से भी अधिक मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है और जहा तक जमीन डूबने की बात है, तो यह पूरी तौर पर निराधार है. किसी भी बराज में पानी स्टोर नहीं किया जाता है, इसलिए ग्रमीणों को ये भय निराधार है. उनका कहना है कि आखिर बराज का निर्माण तो ग्रामीणों के सकारात्मक सहयोग से ही तो तैयार हुआ है. निश्चित तौर पर गजिया बराज के रूप में झारखंड को एक नायाब तोहफा मिला है. आज जबकि कोई परियोजना आधी-अधूरी में अटक जाती है और सरकार का करोडो रुपये बरबाद हो जाता है. वैसे में ये परिजयोना राज्य के लिए एक मिसाल भी है. उम्मीद की जानी चाहिए जल्द ही गजिया बराज का विधिवत उद्घाटन होगा, जिसकी प्रतीक्षा स्थानीय ग्रमीण के साथ सरायकेला रखरसावां ओर जमशेदपुर के लाखों लोग कर हैं.

[metaslider id=15963 cssclass=””]

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading