रांची : झारखंड में दिन भर में तीन बड़ी घटनाएं हुई. आपका समय कम लगे और एक क्लिक में आप सारी खबरें पढ़ लें, इसके लिए एक साथ तीनों खबरें प्रकाशित की जा रही है.
पूर्व रघुवर दास, एडीजी अनुराग गुप्ता और अजय कुमार के खिलाफ अब मामला विजलेंस कोर्ट भेजा गया
2016 के राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, एडीजी अनुराग गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री के सलाहकार रहे अजय कुमार के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ करप्सन एक्ट यानी पीसी एक्ट के तहत मुकदमा चलायी जाये या नहीं चलायी जाये, इसकी सुनवाई अब विजलेंस कोर्ट में होगी. गुरुवार को इसका फैसला आना था, लेकिन फैसले को नहीं सुनाते हुए रांची के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत ने इन सभी के खिलाफ दर्ज मामले में पीसी एक्ट को जोड़ने का आवेदन पर सुनवाई के लिए विजलेंस कोर्ट में केस को ट्रांस्फर कर दिया. अब विजलेंस कोर्ट इसके मेरिट पर फैसला लेगी. रांची के सिविल कोर्ट के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट 4 अनुज कुमार की अदालत ने यह आदेश दिया. राज्यसभा के 2016 के चुनाव में हुए हार्स ट्रेडिंग के मामले में पूर्व सीएम रघुवर दास, रघुवर दास के सीएम रहते हुए पूर्व सलाहकार रहे अजय कुमार का नाम इस मामले में जोड़ने की इजाजत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी थी. इसके बाद इस मामले के अनुसंधानकर्ता ने आरोपियों के खिलाफ पीसी एक्ट के तहत धारा जोड़ने की इजाजत मांगने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है, जिसको लेकर सुनवाई चल रही है. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, एडीजी अनुराग गुप्ता और रघुवर दास के कार्यकाल में उनके कार्यकाल में प्रेस सलाहकार रहे अजय कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून (प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट) के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी थी. वर्ष 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान विधायकों की खरीद-बिक्री से संबंधित यह मामला है, जिसमें पहले से ही अनुराग गुप्ता और अजय कुमार को नामजद आरोपी बनाया गया था और अब रघुवर दास को भी गैर प्राथमिक अभियुक्त बनाया था. 2016 के राज्यसभा चुनाव में भाजपा से धीरज साहू जीते थे जबकि कांग्रेस के एमजे अकबर ने चुनाव जीता था. आरोप है कि एडीजी अनुराग गुप्ता, अजय कुमार ने रघुवर दास के कहकने पर भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशी को जीताने के लिए अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को घूस की रकम देने की कोशिश की थी. निर्मला देवी पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की पत्नी है और वर्तमान में कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद की मां है. इस मामले को लेकर एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें रघुवर दास और अजय कुमार को रांची के धुर्वा स्थित योगेंद्र साव के घर पर भी गये थे. वीडियो में रघुवर दास ने सबकुछ ठीक कर देने की बात कह रहे थे. जब रघुवर दास योगेंद्र साव से मिले थे, तब पुलिस की नजर में वे फरार चल रहे थे. इस ऑडियो और वीडियो के बाद झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष रहते हुए बाबूलाल मरांडी (अब भाजपा विधायक दल के नेता है) ने इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की थी. चुनाव आयोग ने अपनी जांच में शिकायत को सही पाया था, जिसके बाद झारखंड सरकार को चुनाव आयोग ने निदेशित किया था कि इस मामले में एफआइआर दर्ज कर अजय कुमार और अनुराग गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाये. इस मामले को लेकर जगन्नाथपुर थाना में एक एफआइआर अनुराग गुप्ता के खिलाफ रघुवर दास सरकार ने दर्ज कर दी थी. उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी थी, लेकिन अजय कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नही हुई. अजय कुमार उस वक्त प्रधान सचिव के स्तर पर राजनीतिक सलाहकार थे. बाद में हेमंत सोरेन की सरकार बनी तो अनुराग गुप्ता को हटाया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरु कर दी गयी. (नीचे पढ़ें–मनरेगा घोटाले में झारखंड सरकार की सचिव पूजा सिंघल की भूमिका की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट ने की तलब)
मनरेगा घोटाले में झारखंड सरकार की सचिव पूजा सिंघल की भूमिका की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट ने की तलब
झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) को चार सप्ताह में मनरेगा घोटाले में राज्य की सचिव और वरिष्ठ आइएएस पूजा सिंघल के खिलाफ हुई जांच की रिपोर्ट देने को कहा गया है. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने इडी से कहा है कि जांच रिपोर्ट को कोर्ट को सौंपा जाये. खूंटी जिले में मनरेगा योजना में गड़बड़ी हुई थी, जिसको लेकर अरुण कुमार दुबे नामक व्यक्ति ने कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. इस पर सुनवाई हो रही है. खूंटी की तत्कालीन उपायुक्त और वर्तमान में सचिव पूजा सिंघल पर मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी करने का आरोप है. इडी को जांच रिपोर्ट का निष्कर्ष सौंपने को कहा गया है और अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी. राज्य सरकार को इस मामले में भी जवाब दाखिल करने को कहा गया है. खूंटी के जिला परिषद के मनरेगा योजना से जुड़े 18 करोड़ 76 लाख रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप है, जिसमें इंजीनियर राम बिनोद सिन्हा आरोपी है. एसीबी की जांच में इसकी पुष्टि हुई थी. वर्ष 2006 से वर्ष 2010 के बीच का यह मामला है. इस मामले की जांच में अब तक इडी ने 3 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को सीज किया है. (नीचे पढ़ें-झारखंड के आइएएस अधिकारी की कोरोना से मौत)
झारखंड के आइएएस अधिकारी का कोरोना से मौत
झारखंड के आइएएस अधिकारी आलोक गोयल का नयी दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गयी. वे कोरोना से संक्रमित होने के बाद अपना इलाज नयी दिल्ली में ही करा रहे थे. आलोक गोयल झारखंड कैडर के सीनियर आइएएस है और झारखंड भवन में रेजिडेंट कमीश्नर के पद पर पदस्थापित रह चुके है. उनके निधन पर खुद मुख्यमंत्री ने शोक जताया है.