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Jharkhand vidhansabha saryu vs banna – विधानसभा में एक बार फिर विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को घेरा, दवा घोटाला का बड़ा आरोप का तथ्यों के साथ मंत्री के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के सामने रखा, अब बोले-झूठ बोलते है मंत्री, तत्काल कार्रवाई हो, बन्ना बोले-घोटाले का आरोप गलत, साबित हुआ तो मंत्रीपद छोड़ देंगे, जानें क्या है स्वास्थ्य मंत्री पर सरयू राय का आरोप

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जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उनके ऊपर कथित दवा घोटाले के लगे आरोपों को लेकर सरयू राय और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के बीच बहस का अखाड़ा विधानसभा बन गया है. एक बार फिर से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ उन्होंने आवाज उठायी है और विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर बताया है कि विधानसभा में मंत्री बन्ना गुप्ता ने झूठ बोला है, इस कारण सदन की अवमानना की कार्रवाई चलाने की मांग की है. (नीचे भी पढ़ें)

इसको लेकर सदन में कार्यवाही करने को लेकर सरयू राय ने लिखित आवेदन दिया है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सदन में यह कहा था कि एक भी दवा घोटाला का आरोप लगाना अगर प्रमाणित सरयू राय कर दें तो मंत्रीपद छोड़ देंगे. इस बीच सरयू राय ने एक पत्र में विधानसभा अध्यक्ष को बताया है कि सदन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवाओं के खरीद में अनियमितता पर कार्रवाई करने के सबंध में अल्पसूचित प्रश्न सूचीबद्ध था. (नीचे भी पढ़ें)

आसन द्वारा उनको (सरयू राय को) पूरक पूछने का निर्देश दिया गया. सरयू राय एक ही पूरक प्रश्न पूछ सके कि ‘‘भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा भारत सरकार के लोक उपक्रमों से दवाएं खरीदने का दिशा-निर्देश सरकार के लिए बाध्यकारी है या सलाहनुमा है.’’ मंत्री ने उत्तर दिया कि बाध्यकारी है. तदुपरांत अव्यवस्था हो जाने के कारण आसन द्वारा सदन की कार्यवाही 12 बजे दिन तक स्थगित कर दी गई. (नीचे भी पढ़ें)

श्री राय ने शेष पूरक प्रश्न नहीं पूछ सका, परंतु उनके एक ही पूरक प्रश्न का जो उत्तर मंत्री ने दिया वह सरासर गलत है. इस उत्तर से उन्होंने सदन को गुमराह किया है, सदन के सामने असत्य कहा है और अपना भ्रष्टाचार छुपाने की कोशिश की है. श्री राय ने कहा है कि वे सभा अध्यक्ष के समक्ष भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का पत्र संख्या- F.No.50(9)/2010-PI-IV, दिनांक 31.03.2014 की प्रति प्रस्तुत कर रहे हैं. इसमें रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, ने स्पष्ट कहा है कि ‘‘सरकारी संस्थाओं से ही दवा खरीद करना बाध्यकारी नहीं है.’’ (नीचे भी पढ़ें)

यह उन्होंने रेलवे की पृच्छा के उत्तर में दिया है. स्पष्ट है कि स्वास्थ्य मंत्री ने इस बारे में सदन को गुमराह किया है और असत्य कहा है. इसके अतिरिक्त वे सूचनाएं भी विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष रखा है, जिसमें विधायक सरयू राय ने कहा है कि Cefoperazone inj. 1 gm vial (कैफोपेराजोन इंजेक्शन एक ग्राम वायल) को सरकार ने भारत सरकार की कंपनी कर्नाटका एंटिबायोटिक्स से 41.56 रुपये प्रति वायल की दर से खरीदा है और उसी को निविदा के माध्यम से पुष्कर फार्मा से 24.60 रुपये की दर पर खरीदा है. (नीचे भी पढ़ें)

सरयू राय ने बताया है कि उनकी पक्की सूचना है कि मंत्री के नजदीकी और उनके दल के प्रदेश स्तर के एक नेता के पास कर्नाटका एंटिबॉयोटिक्स का झारखण्ड राज्य का सीएनएफ है. विधायक सरयू राय ने कहा है कि कर्नाटका एंटीबॉयोटिक्स ने रांची की यूनिक फार्मा से एक एग्रीमेंट किया है, जिसके अनुसार उसे 12 से 15 प्रतिशत कमीशन दवाओं की बिक्री पर कंपनी देगी. यूनिक फार्मा का राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से क्या संबंध है और कर्नाटका एंटिबॉयोटिक्स ने इसके माध्यम से मंत्री को कितना उपकृत किया है, यह जांच का विषय है. (नीचे भी पढ़ें)

सरयू राय ने कहा है कि भारत सरकार के उर्वरक मंत्रालय एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार जिन दवाओं को खरीदने की सलाह राज्य एवं केन्द्र सरकार के संबंधित विभाग को दिया गया है, उनका निर्माण वे स्वयं करेंगे. परंतु पैरासिटामोल सिरप कर्नाटका एंटिबॉयोटिक्स ने एमबोलिक लैब प्राईवेट लिमिटेड, कंबलगुडू, बैंगलोर की कंपनी से बनवाया गया है और झारखण्ड सरकार को बेचा है. इसी तरह से गोवा एंटिबॉयोटिक्स जो भारत सरकार की कंपनी है, ने क्रमशः अजमेर के विष्णु चौधरी की कंपनी से तथा भोपाल के उपकरण फार्मा में निर्मित आयुर्वेदिक दवाएं सरकार को बेचा है और ऊंचे दाम पर बेचा है. सरयू राय ने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग, झारखण्ड सरकार के तत्कालीन संयुक्त निदेशक (औषधि), सुरेन्द्र प्रसाद ने पकड़ा कि भारत सरकार की कंपनियां जिन दवाओं की आपूर्ति कर रही हैं उनका जांच प्रतिवेदन उनका नहीं बल्कि जिन प्राईवेट निर्माताओं से इन्हें उन्होंने खरीदा है, का है, जिसे उनके पास जमा किया गया है. उनका यह कथन सही साबित हो गया तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनसे स्पष्टीकरण पूछा गया. उनकी शक्ति छीन ली गई. अब वे अधिकारी सेवानिवृत हो गये हैं. श्री राय ने कहा है कि इन सारी बातों के अतिरिक्त कई ऐसे प्रमाण हैं जिन्हें वे सदन के सामने रखना चाहते थे, परन्तु उनके एक पूरक के बाद से सदन अव्यवस्थित हो जाने के कारण आसन द्वारा सदन को स्थगित कर दिया गया, लेकिन उनका एक पूरक प्रश्न का ही जो उत्तर स्वास्थ्य विभाग ने दिया वह सदन को गुमराह करने वाला है.

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