जमशेदपुर : करीम सिटी कॉलेज, अंग्रेजी स्नातकोत्तर विभाग तथा खुसरो फाउंडेशन, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सेमिनार समापन समारोह के साथ संपन्न हुआ। “सूफी साहित्य तथा भारतीय सांस्कृतिक बहुलता” के विषयक इस सेमिनार के दूसरे दिन दो तकनीकी सत्र ऑनलाइन आयोजित किए गए तथा एक सत्र ऑफलाइन सत्र हुआ। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय इतिहास विभाग के प्राध्यापक प्रो रजीउद्दीन अकील ने “सूफी साहित्य की समझ” के विषय पर विस्तार पूर्वक अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने सूफी साहित्य के विभिन्न स्रोतों का मूल्यांकन करते हुए बताया यह केवल हिंदी, उर्दू और क्षेत्रीय भाषाओं में ही नहीं बल्कि सबसे ज्यादा सूफी साहित्य फारसी में मौजूद है। भारत में फारसी में सूफी साहित्य इतना लिखा गया जितना किसी अन्य देश, यहां तक कि ईरान में भी नहीं लिखा गया। (नीचे भी पढ़ें)
पहला सत्र दोपहर 1:00 से 2:00 बजे तक चला, जो मौलाना आजाद ओपन उर्दू यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस के इंचार्ज डॉ हुमा याकूब की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस सत्र का संचालन प्रो साकेत कुमार ने किया। दूसरा सत्र दोपहर 2:00 से 3:00 बजे तक चला, जिसकी अध्यक्षता निर्मल कॉलेज, रांची के इंग्लिश के विभागाध्यक्ष डॉ आफरीनुल हक खान ने की तथा संचालन डॉ नेहा तिवारी ने किया। अंतिम ऑफलाइन सत्र 2:00 आयोजित किया गया। यह सत्र 2 घंटों का सत्र था, जिसकी अध्यक्षता करीम सिटी कॉलेज दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ अशरफ बिहारी ने की। इस सेमिनार में लगभग 20 पर्चे पढ़े गए।