जमशेदपुर : सूर्य ग्रहण को प्रमुख खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को विशेष महत्व दिया गया है. पौराणिक ग्रंथों यहां तक की महाभारत में भी सूर्य ग्रहण का वर्णन आता है. विशेष बात ये है कि इस सूर्य ग्रहण में सूतक लगेगा. जो की बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. सूतक ग्रहण से 12 घंटे पूर्व लगता है और इसकी समाप्ति ग्रहण के समाप्त होने के बाद ही मानी जाती है. जुगसलाई स्थित सत्यनारायण ठाकुरबाड़ी के पंडित श्रवण कुमार शर्मा के अनुसार आषाढ़ कृष्ण अमावश्या रविवार (21) जून को खंडग्रास सूर्य ग्रहण लगेगा, जो चूड़ामणि योग युक्त होगा व भारत में दिखायी देगा. यह खंडग्रास सूर्यग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में प्रारंभ होगा एवं समाप्ति अर्थात मोक्ष आद्रा नक्षत्र में होगी. सार्वभौमिक परिदृश्य में इसका समय जमशेदपुर में सुबह 10:55 से स्पर्श होगा. गृहण का मध्य दोपहर 12:45 तथा मोक्ष दोपहर 2:28 बजे होगा. ग्रहण का पर्व काल दोपहर 3:40 बजे तक रहेगा. यह ग्रहण राहुग्रस्त है. मिथुन राशि में राहु सूर्य-चंद्रमा को पीड़ित कर रहा है. मंगल जल तत्व की राशि मीन में है और मिथुन राशि के ग्रहों पर दृष्टि डाल रहा है. इस दिन बुध, गुरु, शुक्र और शनि वक्री रहेंगे. राहु और केतु हमेशा वक्री ही रहते है. इन 6 ग्रहों की स्थिति के कारण ये सूर्य ग्रहण और भी खास हो गया है.
सूतक काल में न निकलें घर से
21 जून को दिन में ग्रहण लग रहा है. 20 जून की रात से ही सूतक आरंभ हो जाएगा इसलिए जिस दिन से सूतक काल आरंभ हो उसके बाद घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. जमशेदपुर में सूतक काल शनिवार (20 जून) की रात 10 बजे से आरंभ हो रहा है.
देश में बन सकती हैं तनाव की स्थियां, चीन के लिए अशुभ
इस ग्रहण पर मंगल की दृष्टि पड़ने से देश में आगजनी, विवाद और तनाव की स्थितियां बन सकती हैं। आषाढ़ महीने में ये ग्रहण होने से मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, कश्मीर और दिल्ली के पर इसका विशेष असर देखने को मिलेगा। इनके साथ ही यमुना नदी के किनारे बसे शहरों पर भी इसका अशुभ असर पड़ेगा। वहीं अफगानिस्तान और चीन के लिए भी ग्रहण अशुभ रहेगा।
विभिन्न राशियों पर प्रभाव
इस ग्रहण का विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा. किसी के लिए यह शुभ व मंगलकारी तो किसी के लिए मध्यम और किसी के लिए अशुभ हो सकता है. पंडित श्री शर्मा के अनुसार मेष, वृष, सिंह, कन्या,वृश्चिक, मकर राशि के लिए यह सूर्यग्रहण शुभ फलदायी होगा. वहीं तुला के के लिए सम व कुंभ राशि के लिए साधारण फल देनेवाला तथा मिथुन, कर्क, धनु व मीन राशि के लिए अशुभ हो सकता है. हालांकि कुछ ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि मेष राशि, सिंह राशि, कन्या राशि और तुला राशि के लोगों के लिए यह ग्रहण मध्यम फल देने वाला साबित होगा. शेष राशि के लोगों को लगभग शुभ फलों की प्राप्ति होने के योग बनेंगे. चूंकि यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में पड़ रहा है, इसलिए मिथुन राशि वाले लोगों को खासतौर पर इस ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचना चाहिए क्योंकि इसका प्रभाव सबसे अधिक उन पर ही होगा. विभिन्न वैद्यों, डॉक्टरों और ज्योतिषियों के लिए यह ग्रहण काफी प्रभावशाली रहेगा.
देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव, बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव संभव, आपदा के भी योग बन सकते हैं
स्वतंत्र भारत की कुंडली के दूसरे भाव में यह ग्रहण घटित होगा जो भारत की अर्थव्यवस्था पर काफी गहरा प्रभाव डालेगा और बैंकिंग सेक्टर में भी काफी बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं.
यह ग्रहण बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का कारक बन सकता है, जिसकी वजह से भूकंप आने, भूस्खलन होने, वर्षा की कमी होने और बहुत तेज हवाओं, आंधी या तूफान के योग बन सकते हैं.
यह सूर्य ग्रहण बड़े-बड़े देशों के मध्य सत्ता का संघर्ष और देश की आंतरिक समस्याओं में तेजी से वृद्धि होने का भी संकेत देता है. इस ग्रहण के प्रभाव से जो लोग व्यापार करते हैं, उनके लिए यह अच्छे परिणाम मिलने के योग बनेंगे. गेहूं, धान और अन्य अनाजों के उत्पादन में थोड़ी कमी आ सकती है और दूध के उत्पादन में भी गिरावट आने के संकेत दिखाई देते हैं. ऐसे समय में जब कोरोनावायरस भी अपने पांव तेजी से पसार रहा है, यह ग्रहण हमें यह संकेत दे रहा है कि हमें स्वयं को तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए कठोर नियमों का पालन करना ही होगा और उन पर चलकर हम इस कोरोनावायरस के संक्रमण से शीघ्र ही मुक्त हो सकते हैं.
चूड़ामणि योग युक्त ग्रहण
यदि सूर्यग्रहण रविवार को या चंद्रग्रहण सोमवार को लगता है, तो वह ग्रहण चूड़ामणि योग युक्त होकर विशेष फलप्रद व सिद्धिप्रद होता है. पंडित श्रवण कुमार शर्मा ने बताया कि सूर्यग्रहण 21 जून रविवार को ही लग रहा है, जिससे यह चूड़ामणि योग युक्त है. धर्मशास्त्र में चूड़ामणि ग्रहण योग में स्नान दान व धर्म को सामान्य ग्रहण से करोड़ों गुना अधिक पुण्य फलप्रदायक बताया गया है.
सूतक काल में क्या करें, क्या न करें
सूर्यग्रहण का सूतक स्पर्श काल से 12 घंटा पूर्व ही प्रारंभ हो जाता है, जो मोक्ष के उपरांत समाप्त होता है. ग्रहण के स्पर्श काल और मोक्ष काल में दोनों समय स्नान करना चाहिए. सूतक काल के दौरान मंदिर में प्रवेश, भगवान की मूर्ति का स्पर्श, भोजन, यात्रा, सहवास आदि कार्य धर्म शास्त्रीय मत के अनुसार वर्जित हैं। बालक, वृद्ध एवं रोगी को शास्त्र में छूट दी गई है. पके हुए अन्न में ग्रहण का सूतक दोष लगता है. भोज्य पदार्थ जैसे दूध, दही, घी आदि में तिल या कुश डाल देने से सूतक दोष नहीं लगता है. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल के दौरान चाकू, हसुए, सूई आदि के प्रयोग से बचना चाहिए और भगवान का नाम लेना चाहिए. ग्रहण काल सिद्धिप्रद काल माना जाता है. अत: ग्रहण काल में तंत्र मंत्र सिद्धि, दान-धर्म कार्य एवं भगवत भजन करना शास्त्रोचित एवं विशेष पुण्यप्रद माना गया है. यह ग्रहण मृगसिरा नक्षत्र में प्रारंम होकर आद्रा नक्षत्र में समाप्त होगा. इन नक्षत्रों में जन्मे व्यक्ति को यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए.
सूर्यग्रहण का स्पर्श व मोक्ष का समय
- जमशेदपुर : सुबह 10:55 से दोपहर 02:28 बजे तक कुल तीन घंटा 33 मिनट.
- रांची : सुबह 10:37 से दोपहर 02:10 बजे तक कुल तीन घंटा 33 मिनट.
- धनबाद : सुबह 10:40 से दोपहर 02:13 बजे तक कुल तीन घंटा 33 मिनट.
- बोकारो : सुबह 10:39 से दोपहर 02:12 बजे तक कुल तीन घंटा 33 मिनट.
- पलामू : सुबह 10:33 से दोपहर 02:06 बजे तक कुल तीन घंटा 33 मिनट.
- देवघर : सुबह 10:41 से दोपहर 02:13 बजे तक कुल तीन घंटा 32 मिनट.