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कोल्हान के बड़े अस्पताल में कफन के लिए दौड़ते रहे मरीज के परिजन, अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में केंद्र सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट

राशिफल

एमजीएम अस्पताल में कफन नहीं मिलने पर हंगामा करते भाजपा नेता व कार्यकर्ता

जमशेदपुर : जमशेदपुर के साकची स्थित कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एमजीएम एक बार फिर से विवादों में घिर गया है. जहां इस बार फिर से अस्पताल प्रशासन ने मानवता को शर्मसार कर दिया है. आपको बता दें कि कल राजा बोस नामक एक मरीज की अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से पहले मौत हो गई, उसके बाद जो हुआ उससे पूरी मानवता ही शर्मसार हो गई. मरीज की मौत के बाद परिजन कफन के लिए डॉक्टरों से लेकर अस्पताल प्रशासन के हर कर्मचारियों तक गुहार लगाते रहे, लेकिन ना तो अस्पताल प्रशासन का दिल पसीजा और ना ही ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों और नर्सों का. यहां तक कि अस्पताल प्रशासन एवं ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने पूरी रात शव को मोर्ज में रखवाने के बदले वार्ड में ही छोड़ दिया. इधर पूरे मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल आज परिजनों के साथ अस्पताल के अधीक्षक से मुलाकात कर इस से अमानवीय कृत्य बताते हुए दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है वहीं अस्पताल अधीक्षक ने भी इसे एक निंदनीय घटना बताया और ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर जांच के बाद सख्त कार्रवाई किए जाने का भरोसा दिलाया. वैसे कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल अक्सर विवादों में रहता है, लेकिन इस कृत्य से पूरी मानवता ही शर्मसार हो गई है.दूसरी ओर, प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद एमजीएम अस्पताल मे विगत 2017 मे कुपोषण से 164 बच्चों की हुई मौत मामले को महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय को भेजा गया है. उक्त जानकारी झारखण्ड सरकार के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव मनोज कुमार सिन्हा ने झारखण्ड हयूमन् राइट्स कांफ्रेंस के केन्द्रीय अध्यक्ष मनोज मिश्र को अपने पत्रांक 611/17 दिनांक 26/09/19 द्वारा दी है. पत्र मे स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव ने बताया है कि मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है, जिसे स्वास्थ्य विभाग की जांच एवं सौंपे गए प्रतिवेदन के आधार पर समाप्त कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग ने अपने जांच प्रतिवेदन मे बच्चों की मौत का कारण कुपोषण को बताया था, जेएचआरसी द्वारा मामला लोकायुक्त के समक्ष लाया गया, लोकायुक्त के आदेश पर पुर्नगठित स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम ने बच्चों की मौत मामले पर कुपोषण सहित अस्पताल मे संसाधन एवं मैनपावर की कमी को जिम्मेवार बताया था. स्वास्थ्य विभाग के बार-बार रिपोर्ट देने के बावजूद भी पूरे मामले मे कुपोषण को लेकर जिम्मेवारों को चिन्हित करने हेतु कोई जांच कमेटी का गठन अब तक नही किया गया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. मामले पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही होता देख जेएचआरसी प्रमुख मनोज मिश्र ने मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया एवं कुपोषण से हुई बच्चों की मौत मामले पर उच्चस्तरीय जांच की मांग की. प्रधानमंत्री कार्यालय ने मामले पर संज्ञान लेकर राज्य के स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया. सीधे प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामला महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्रालय को भेजते हुए अपने स्तर पर आवश्यक कार्यवाही करने को कहा है, जिसमें प्रधानमंत्री के निर्देशों का भी उल्लेख किया गया है. मनोज मिश्रा ने कहा है कि शीघ्र ही जेएचआरसी का एक प्रतिनिधिमंडल विभाग की मंत्री लुईस मराण्डी से मिलकर एमजीएम अस्पताल मे कुपोषण से हुई बच्चों की मौत मामले पर उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग करेगा. उन्होने कहा कि दोषियों को चिन्हित नही किए जाने के कारण, बच्चों की मौत का सिलसिला थम नही रहा है, विगत अगस्त माह मे ही पटमदा के आठ माह की बच्ची की मौत इसी एमजीएम अस्पताल मे कुपोषण के कारण हो गयी थी, उन्होने पुरे मामले की उच्च स्तरीय जॉच कराने एवं दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग सरकार से की है.

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