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kolhan-story-बचपन से अनाथ थे भाई-बहन, बड़ी बहन चला रही थी घर, अब इन परिवारों का सहारा कौन बनेगा, पहल करें पश्चिम सिंहभूम के डीसी साहब

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अन्नी अमृता / चाईबासा : मनोहरपुर थाना क्षेत्र के पुरनापानी गांव की 22 वर्षीय लिंडिया हेंब्रम नहीं रहीं. आप सोच रहे होंगे इसमें क्या नया है या क्या ऐसी बात है जो आपको हमलोग बता रहे हैं. दरअसल ये कहानी इतना द्रवित करने वाली है कि पढ़ने वाले सोचने पर मजबूर होंगे. 22 वर्षीय लिंडिया एक कपड़ा दुकान में काम करके अपने दो छोटे भाईयों आभिषेक हेंब्रम (17) और आशीष हेंब्रम (14) का न सिर्फ भरण पोषण कर रही थी बल्कि उन्हें पढ़ा भी रही थी. सालों पहले मां-बाप का साया इन तीनों भाई बहनों के सिर से उठ चुका था. तब से बड़ी बहन लिंडिया हेंब्रम ही उन सबकी मां और बाप दोनों थी. कुछ समय पहले लिंडिया बीमार पड़ी और काम न कर पाने से पैसे की तंगी हो गई. टाईफाइड की शिकार लिंडिया हेंब्रम अस्पताल से घर आने के बाद हताश रहने लगी और पिछले गुरुवार को आत्महत्या कर ली. घर पर मानो दुख का पहाड़ टूट पड़ा. बड़ी बहन के राशन कार्ड से अनाज आता था. दोनों नाबालिग भाई गम के सागर में डूब गए हैं. (नीचे भी पढ़ें)

मदद को आगे आईं समाजसेवी नेहा निषाद, प्रशासन की भी पहल का इंतज़ार-
सामाजिक कार्यो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली चाईबासा की नेहा निषाद ने इन बच्चों की व्यथा को ट्वीट किया है. साथ ही वे अपनी संस्था के माध्यम से मदद करने को आगे आई हैं. वे कोशिश कर रही हैं कि प्रशासन की मदद से वे इन नाबालिगों को राशन मिलता रहे. साथ ही मिट्टी के घर को पक्का करवा दिया जाए. इसके लिए उन्होंने मदद की अपील भी की है. नेहा का कहना है कि अगर जिला प्रशासन पहल करे तो इनको पीएम आवास योजना से जोड़ कर पक्का घर दिलाया जा सकता है. बाकी की मदद संस्था के लोग कर देंगे. फिलहाल पहले से अनाथ बच्चों के सिर से मां समान बड़ी बहन का हाथ भी हट जाने की ये दर्दनाक कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है.

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