सरायकेला : जिले में पिछले 12 घंटों के भीतर नाटकीय घटनाक्रम के दौरान जिला पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गयी है. जहां मंगलवार की देर शाम बेहद ही गोपीय और गुपचुप तरीके से मीडिया और तमाम सूचना तंत्रों से बचते-बचाते जिला पुलिस-प्रशासन ने सरायकेला नगर पंचायत के उपाध्यक्ष मनोज चौधरी को धारा 144 का उल्लंघन और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के अलावा भीड़ को भड़काने के आरोप में जेल भेज दिया. वहीं अभी जेलयात्रा के 24 घंटे भी नहीं बीते कि नगर पंचायत के उपाध्यक्ष सलाखों के बाहर आ घमके. अब इसमें कौन सा खेल खेला गया यह तो जांच का विषय है, लेकिन पुलिस की कार्यशैली की चर्चा जिले में आमो-खास के बीच हो रही है. सभी यही पूछ रहे कि क्या धारा 144 और सराकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और भीड़ को भड़काने पर यही सजा मिलती है. खैर जेलयात्रा के बाद अपनी सफाई में नगर उपाध्यक्ष ने जो बताया उससे तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है. फिलहाल उन्होंने खुद के सम्मान को धक्का लगाए जाने का जिक्र करते हुए मानहानि का केस करने की धमकी दी है. ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि नगर उपाध्यक्ष मानहानि का केस कबतक करते हैं. फिलहाल उनकी जेलयात्रा से वापसी के बाद भाजपा नेता उनके आवास पर जुटने लगे हैं, और उन्हें सांत्वना दे रहे हैं.
वहीं जेल से निकलते ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर मनोज चौधरी अनिश्चितकाली अनशन पर बैठ गए हैं. उन्होंने बताया कि जबतक पूरे मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की जाती है, उनका अनशन जारी रहेगा. मनोज चौधरी ने बताया कि जिले के उपायुक्त की मनमानी के खिलाफ कोई भी आवाज उठाता है, तो उसके साथ वे अभद्र व्यवहार करते हैं. पूरा जिला लॉकडाउन से त्रस्त है, कहीं बिजली को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, तो कहीं जरूरतमंदो तक राशन नहीं पहुंच रहा है. अधिकारी जरूरतमंदो तक राहत सामग्री पहुंचाने में नाकाम रहे हैं, जब कोई सामाजिक संस्था या जनप्रतिनिधि सामने आ रहे हैं, तो उन पर झूठा मुकदमा कर गैरकानूनी तरीके से जेल भेजा जा रहा है.