रांची : मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने हरी झंडी दे दी है, अब यह बिल विधानसभा में पास होने के बाद कानून बन जाएगा. इसके लिए कई वर्षों से मांग उठ रही थी. उन्होने शुक्रवार को बूटी मोड़ के एक निजी अस्पताल में उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में कोरोना काल में चिकित्सकों ने फ्रंटलाइन वॉरियर बनकर काम किया है. इस दौरान कई डॉक्टरों ने जान भी गवां दी. मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को 9 मई 2017 में ही कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी. झारखंड में इस एक्ट के तहत चिकित्सा सेवा से जुड़े व्यक्ति, चिकित्सक और सेवा संस्थानों को शामिल किया गया है. इस एक्ट के तहत चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों से मारपीट करना तथा चिकित्सा संस्थानों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना गैर जमानतीय अपराध नहीं होगा. आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उसे लिखित नोटिस दिए जाने का प्रावधान किया गया है. आरोपी का पक्ष सुने बिना उसकी गिरफ्तारी नहीं होगी. आरोप सिद्ध होने पर दोषी व्यक्तियों को नुकसान हुई संपत्ति की ही भरपाई करनी होगी. वहीं, दोषी करार दिए जाने पर तीन साल की सजा के प्रावधान को घटाकर 18 माह कर दिया गया है. इसमें 50 हजार रुपये जुर्माने के प्रावधान को बरकरार रखा गया है. इधर इस नियम को लेकर रांची आईएमए नाखुश है. रांची आईएमए के ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ अजीत कुमार ने कहा कि राज्य में चिकित्सकों की कमी का प्रमुख कारण यहां के चिकित्सक अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं. इस वजह से यहां मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग जोरशोर से उठी, लेकिन एमपीए में प्रवर समिति के द्वारा किए गए संशोधन ने एक्ट को दंतहीन-विषहीन बना दिया है. उन्होंने कहा कि एक्ट पर एक बार फिर सरकार को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.