रांची: ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को अपने वकीलों के माध्यम से निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी बात रखी. वकीलों ने आयोग से और समय देने की मांग की है. आयोग ने इस पर नाराजगी जतायी है. गौरतलब है कि भाजपा की शिकायत पर चुनाव आयोग सीएम के निर्वाचन मामले पर फैसला लेनेवाला है. इस मामले पर सीएम के आग्रह पर पूर्व में निर्वाचन आयोग की ओर से दो बार सुनवाई टाली जा चुकी है.पिछली सुनवाई में 14 जून को आयोग ने साफ कहा था कि अब आगे सुनवाई नहीं टाली जा सकती. इससे पहले भी हेमंत सोरेन को आयोग की ओर से पक्ष रखने के लिए दो बार समय दिया गया था. सीएम ने वकील के कोरोना पॉजिटिव होने का हवाला देते हुए निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश होने के लिए और अधिक समय की मांग की थी.14 जून को आयोग ने आग्रह स्वीकार करते हुए दो सप्ताह का समय दिया था.(नीचे भी पढ़े)
हालांकि, आयोग की ओर से यह भी कहा गया है कि अगली तिथि को वे खुद या वकील के माध्यम से पक्ष रखें, अन्यथा उनकी ओर से जो लिखित जवाब सौंपा गया है, उसी आधार पर फैसला लिया जायेगा.ज्ञात हो कि भाजपा ने राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंप कर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने अपने नाम से रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज लिया. इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन बताया.इस आधार पर राज्यपाल से हेमंत सोरेन को विस की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग की गयी. इसके बाद राज्यपाल ने इस पर भारत निर्वाचन आयोग से मंतव्य मांगा. आयोग परामर्श देने से पहले मामले में सुनवाई कर रहा है. बसंत सोरेन मामले में अब 15 जुलाई को निर्वाचन आयोग में सुनवाई होगी.