वॉशिंगटन : सूर्य के विषय में डिटेल अध्ययन के लिए अमेरिकी एजेंसी नासा ने 2018 में पार्कर सोलर प्रोब स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया था. यह अब तक सूर्य के सबसे नजदीक जाने वाला अंतरिक्ष यान है. साथ ही यह स्पेसक्राफ्त वैज्ञानिकों के द्वारा बनाई गई आज तक की सबसे तेज स्पेसक्राफ्त है, जो लगभग 6 लाख 92 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सफर करता है. यह स्पेसक्राफ्त एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि इसको लेकर नासा ने एक वीडियो जारी किया है. साथ ही नासा ने जानकारी दी कि सौर वायुमंडल में प्रवेश के दौरान वह एक शक्तिशाली कोरोनल मास इजेक्शन में फंस गया. उसने इस प्रभाव का वीडियो भी कैप्चर किया है. पार्कर सोलर प्रोब 5 सितंबर 2022 को जब सूर्य के करीब से गुजरा था, तो उसने इस घटना को देखा. वीडियो में दिख रहा है कि सूर्य से निकले सीएमई से बचकर वह निकला है. नासा के मुताबिक इस दौरान प्रोब बच गया. वह अब तक के सबसे शक्तिशाली सीएमई के करीब से गुजरा है. यह इंजीनियरिंग की एक प्रभावशाली उपलब्धि तो दिखाता ही है. इसके साथ ही यह वैज्ञानिक समुदाय के लिए बड़ा वरदान है. अपने सौर चक्र के दौरान सूर्य में गतिविधियां बढ़ जाती हैं. (नीचे भी पढ़ें)
इसे सोलर मैक्सिमम कहते हैं. इस दौरान सूर्य पर चुंबकीय क्षेत्र अपने सबसे निचले स्तर पर होता है, जो पृथ्वी के लिए अच्छा नहीं हैं. क्योंकि चुंबकीय क्षेत्र एक ढाल की तरह काम करता है, जो सोलर रेडिएशन, सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन को रोकता है. नासा के मुताबिक सनस्पॉट वह क्षेत्र हैं, जो सूर्य की सतह पर काले दिखाई देते हैं. ये काले इसलिए होते हैं, क्योंकि यह सतह के अन्य हिस्सों की तुलना में ठंडे होते हैं. इन धब्बों से सोलर फ्लेयर निकलते हैं. अंतरिक्ष में इनसे ढेर सारा प्लाज्मा निकलता है. अगर यह धरती से सीधे टकरा जाएं, तो यह हमारे रेडियो सिग्नल में समस्या पैदा कर सकते हैं. इसके अलावा सूर्य से सौर तूफान निकलते हैं, जो अंतरिक्ष से यात्रा करके पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती हैं. इनके टकराने पर सैटेलाइ, जीपीएस और पावर ग्रिड तक फेल हो सकते हैं. बताते चले कि अब तक इस पार्कर सोलर प्रोब स्पेसक्राफ्ट 8वीं बार सूर्य के करीब पहंचा है. आने वाले 2 सालों में यह सूर्य की 16 बार और परिक्रमा पूरी करेगा.