रांची : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने अपने एक आदेश द्वारा दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) को थर्मल प्लांट के अधिकारियों को कतर्व्यों में लापरवाही बरतने के और दामोदर नद की पारिस्थतिकी को नुकसान पहुंचाने के लिए दूसरी बार दंड लगाया है. यह आदेश दामोदर बचाओ आंदोलन के संयोजक, प्रवीण कुमार सिंह द्वारा वर्ष 2019 के अक्टूबर माह में चन्द्रपुरा ताप विद्युतगृह में भट्टी का तेल रिसाव के संबंध में एनजीटी में दायर किये गये एक मुकदमे के संदर्भ में आया है. श्री सिंह ने बताया कि एनजीटी ने इस मामले को देखने के लिए एक समिति बनाई थी, जिसने अपनी प्रतिवेदन में एक करोड़, 64 लाख, 53 हजार रूप्या का जुर्माना डीवीसी पर लगाया है. एनजीटी ने डीवीसी को यह राशि जमा करने के लिए दो महीने का समय दिया गया है. इससे पूर्व भी एनजीटी ने एक अन्य मामले में 14 दिसम्बर, 2020 के अपने आदेश में डीवीसी को दो करोड़, 89 लाख, 39 हजार 769 रूपये का जुर्माना और सभी अनुशंसाओं को लागू कराने के लिए दो माह का समय दिया था. इससे पूर्व डीवीसी के डाइक फेल से दामोदर नद में फ्लाई ऐश फैलने के मद्देनजर प्रवीण कुमार सिंह द्वारा दिनांक 12 सितम्बर, 2019 को एनजीटी में एक मुकदमा दायर किया गया था. श्री सिंह के अनुसार झारखण्ड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से डीवीसी के खिलाफ मामले पर एनजीटी के आदेशों के अनुपालन की वस्तुस्थिति के साथ-साथ पर्यावरण मंजूरी निर्धारित शर्तों का उल्लंघन (कंसेट टू स्टेब्लिश तथा कंसेट टू ऑपरेट) के लिए विभिन्न पर्यावरणीय कानूनों के तहत वस्तुस्थिति का पता लगाना महत्वपूर्ण है. नई दिल्ली स्थित एक गैर सरकारी संस्था ‘लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनभायरमेंट (लाइफ)’ ने श्री सिंह को एनजीटी में मामला दर्ज कराने के लिए सभी आवश्यक तकनीकी विवरण एकत्र करने में मदद की थी. आवेदक प्रवीण कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता, ऋत्विक दत्ता और अधिवक्ता राहुल चौधरी ने मुकदमे की पैरवी की थी.