राजन सिंह
चाकुलिया : पश्चिम बंगाल सीमा से सटे चाकुलिया प्रखंड की माटियाबांधी पंचायत के पहाडों पर बसे सुदूरवर्ती पाकुड़ियाशोल गांव में सरकार का नारा पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की नारा सार्थक हो रही हैं. गांव में तकनीकी संसाधनों की कमी के बावजूद भी गांव में एक ऐसा परिवार है जो गांव के लिए मिसाल है. गांव के ग्राम प्रधान बैजुन मांडी ने सारी परेशानियों को झेलते हुए भी अपनी पांचों बेटियों को शिक्षित किया है.
उन्होंने कहा कि वह खेती-बाड़ी कर और उधार लेकर भी अपनी बेटियों को शिक्षित कर रहे हैं. उनकी पांच बेटियां हैं. बड़ी बेटी सोहागी मांडी मैट्रिक करने के बाद तमिलनाडु जाकर सिलाई-कढ़ाई का काम करती है, उसे जो भी मेहनाताना मिलता है वह घर भेजती है, ताकि उसकी छोटी बहनों की पढ़ाई प्रभावित न हो और पिता को परेशानी न हो. दूसरी बेटी सुंदरी मांडी घाटशिला कॉलेज में पीजी की पढ़ाई कर रही है, तीसरी बेटी सोनोका मांडी यूजी की पढ़ाई कर रही है, चौथी बेटी कल्याणी मांडी इस वर्ष माटियाबांधी उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा दी है और छोटी बेटी दुलारी मांडी माटियाबांधी उच्च विद्यालय में 10वीं कक्षा की छात्रा है.
पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहती हूं : सुंदरी मांडी
पाकुड़ियाशोल गांव के ग्राम प्रधान बैजुन मांडी की दूसरी बेटी सुंदरी मांडी घाटशिला कॉलेज में पीजी की पढ़ाई कर रही है. उसने कहा कि वह रोजाना 5-7 किमी पहाड़ी रास्ता साइकिल से तय कर माटियाबांधी जाती है और वहां से वाहन पकड़कर कॉलेज पहुंचती है. फिलहाल लॉकडाउन में कॉलेज बंद है, ऑनलाइन पढ़ाई हो रही हैं. परंतु गांव में नेटवर्क नहीं होने के कारण वह ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रही है. वह खुद किसी तरह पढ़ रही है. उसने कहा कि वह पढ़-लिख कर अपने पिता के सपनों को सकार करना चाहती है. वह नौकरी कर अपने परिवार का साथ देना चाहती है, ताकि उसकी छोटी बहनें भी पढ़-लिख सकें.