सरायकेला : सरकार भले डायन उन्मूलन को लेकर चलाए जा रहे अभियान के नाम पर लाख दावे करे, लेकिन जमीनी सच्चाई यही है, कि आज भी 21 वीं सदी के भारत में इस कुप्रथा के प्रति लोग जागरूक नहीं है. जहां आज भी डायन प्रथा का प्रचलन जारी है, और इसकी शिकार महिलाएं और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार जारी है. वैसै आप इन तस्वीरों में जिन महिलाओं को देख रहे हैं, वो सरायकेला- खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड के गोविंदपुर गांव के बरटांड़ टोला की हैं. जिन्हें लेकर डायन उन्मूलन अभियान की प्रणेता छुटनी महतो रविवार को जमशेदपुर के जुबिली पार्क पहुंची. यहां इन महिलाओं की छुटनी ने काउंसेलिग करायी, ताकि सामाजिक स्तर पर टूट रही इन महिलाओं के अंदर इस कुरीति के खिलाफ जंग लड़ने का जज्बा पैदा हो सके.
इस संबंध में महिलाओं ने बताया कि आज भी गांव में उनका सामाजिक स्तर पर विरोध जारी है, वैसे पिछले छह महीने से वे अपने लिए जंग लड़ रहीं है, और कानून की पेचिगियों का लाभ उठाकर गांववाले बच रहे हैं. वहीं इन महिलाओं ने सरकार सेउनके लिए विकल्प तलाशने और पुनर्वास की मांग की है. वहीं इन महिलाओं को यहां लानेवाली छुटनी बताती है, कि साल 2009 ने वह इस कुप्रथा के खिलाफ जंग लड़ रही है और अपने पैरों पर खड़ा होते हुए अबतक करीब 110 डायन पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिला चुकी है. हालांकि छुटनी को आज भी सराकारी तंत्र पर समाज से इस कुरीति को जड़ से समाप्त करने का भरोसा है. वहीं पार्क घूमने पहुंची महिलाएं खुश कम भयभीत ज्यादा नजर आ रही थी.