सरायकेला : जमशेदपुर से प्रकाशित ‘उदित झारखंड’ सांध्य दैनिक में खबर छपते ही जिले के राजनगर प्रखंड के गोविंदपुर पंचायत के बनकाटी गांव के मनरेगा और नरेगा के तहत फर्जीवाड़ा कर 15 मजदूरों के नाम पर पैसे निकासी का मामला रफा-दफा किए जाने की रणनीति बनाने में सभी घोटालेबाज जुट गए हैं. उनके द्वारा गोपनीय तरीके से चुनिंदा लोगों को बुलाकर जनसभा करायी गयी, जिसमें जूरी के समक्ष सभी 15 लाभुकों को खड़ा करा दिया गया और उनके समर्थन में फैसला सुनाने का फरमान जारी करा दिया गया. शिकायतकर्ता को बुलाया गया या नहीं इसकी कोई सूचना नहीं. वैसे सूत्र बताते हैं कि शिकायतकर्ता वहां पहुंचे थे, लेकिन दूसरे पक्ष के लोग इतना हावी थे कि उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. हालांकि सभा स्थल पर कुछ नोकझोंक भी हुई, जिसकी शिकायत राजनगर थाना में की गई है और वहां दोनों पक्षों को बुलाया गया है. सवाल यह उठता है कि 500 से अधिक लोगों को उक्त जनसभा में बुलाया गया. इतना गम्भीर मामला होने के बावजूद जनप्रतिनिधियों, सुनवाई कर रहे जिला प्रशासन और जूरी द्वारा विवादित व चुनिंदा मीडिया कर्मियों को ही बुलाया गया. यह कई सवालों को जन्म देता है. वैसे विवादित मीडियाकर्मियों ने अपना काम ईमानदारी से किया और पेशेवर तरीके से सोशल साइट्स पर पूरे मामले का भ्रम फैलाने का काम किया. जबकि अन्य किसी अखबारों या टीवी चैनलों में यह मामला प्रकाशित तक नहीं किया गया. सवाल उन पत्रकारों और मीडियाकर्मियों से भी किया जाना चाहिए कि क्या उन्होंने शिकायतकर्ता का पक्ष जानने का प्रयास किया ? आपको याद दिलाना चाहेंगे कि हमने अपने 25 सितंबर के अंक में इस मामले का खुलासा किया था कि किस तरह से सरायकेला- खरसावां जिला के राजनगर प्रखंड में नरेगा और मनरेगा के नाम पर लूट और फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है. महज 24 घण्टे के भीतर सभी घोटालेबाज सक्रिय हो उठे और सोशल ऑडिट टीम के समक्ष कथित पांच सौ ग्रामीणों की भीड़ जुटा कर सोशल ऑडिट द्वारा सौंपे गए रिपोर्ट को गलत साबित करा दिया गया. वैसे इस बात की जानकारी न तो प्रखंड कार्यालय और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा मीडिया को दी गयी. सवाल सोशल ऑडिट टीम पर भी उठता है कि आखिर किस आधार पर उनके द्वारा रिपोर्ट जारी की गई थी? फिलहाल सरायकेला जिले का राजनगर प्रखंड फिर से विवादों में घिर गया है.