रांची : पूरे देश फैली कोरोना महामारी की दूसरी लहर अभी ख़त्म नहीं हुई है और तीसरी लहर की चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स का मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकती है। झारखंड में कोरोना की संभावित तीसरी लहर में करीब सात लाख बच्चों के संक्रमित होने का अंदेशा लगाया गया है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 18 साल से नीचे एक करोड़ 43 लाख 49 हजार 680 की आबादी है, जिसमें पांच फीसदी के हिसाब से सात लाख 17 हजार 484 के संक्रमित होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें 40 फीसदी (286994 बच्चों) के सिम्टोमैटिक होने, 82 फीसदी (235335 बच्चों) में माइल्ड केस, 15 फीसदी (43049 बच्चों) में मॉडरेट केस व 3 फीसदी (8610 बच्चों) में सीवियर केस का अनुमान है। कोरोना वायरस संक्रमण से संक्रमित होने के दो से चार सप्ताह बाद कई बच्चों में मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) पाया गया है, जो कोरोना के बाद एक दूसरी समस्या साबित होगी। बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम एक खतरनाक स्थिति है जो आम तौर पर नए कोरोना वायरस से संक्रमित होने के दो से चार सप्ताह बाद जाहिर होता है, और उसे दो माह के शिशुओं तक में भी इस बीमारी को देखा गया है। ऐसे में अपने देश में बच्चों के टीकाकरण की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर बेअसर हो और बच्चों की सुरक्षा हो सके, इसी मकसद से वीमेन डॉक्टर्स विंग आईएमए, झारखण्ड द्वारा रविवार को एक वेबिनार “कोविड-19 थर्ड वेव : इंटरनेशनल पीआईसीयू और क्रिटिकल केयर ट्रेनिंग सिम्पोजियम- बाल चिकित्सा आईसीयू तैयार करें, हमारे बच्चों को बचाएं, हमारे भविष्य की रक्षा करें” (COVID-19 Third Wave: International PICU & Critical Care Training Symposium–Prepare Paediatric ICU, Save our Children, Protect our Future) का आयोजन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में किया गया। इसमें अमेरिका के जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञों ने झारखण्ड में कार्यरत मालन्यूट्रिशन ट्रीटमेंट सेंटर (MTC), स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU), न्यूबोर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट्स (NBSU) के सभी चिकित्सकों तथा शिशु रोग विभाग रिम्स, रांची, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज, धनबाद, महात्मा गाँधी मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर, फूलो झानो मुर्मू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, दुमका, शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज, हजारीबाग, मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, पलामू में कार्यरत शिशु रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण प्रदान कराया गया। (नीचे भी पढ़ें)
विशिष्ट अतिथि स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह, आई.एम.ए. के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जया लाल, राष्ट्रीय सचिव डॉ. जयेश लेले थे। आमंत्रित अतिथि वीमेन डॉक्टर्स विंग आई.एम.ए. की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. येशोधा, राष्ट्रीय सचिव डॉ. कविता रवि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डायरेक्टर रवि शंकर शुक्ला एवं झारखण्ड आई.एम.ए. के अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह, सचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह थे। इस कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक अमेरिका से डॉ. योंजा बुलेट (प्रोफेसर ऑफ़ पीडियाट्रिक, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया एंड लोस एंजेलस, डॉ. रवि कश्यप (मेडिकल डायरेक्टर, इंटेंसिव केयर यूनिट, यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलिनोइस) एवं डॉ. पूजा कश्यप (सीनियर पेडियेट्रिक कार्डियोलोजिस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास) थे। आईसीयू में किस तरह से बच्चों का इलाज किया जाये इसका गहन प्रशिक्षण उन लोगों ने दिया। (नीचे भी पढ़ें)
झारखण्ड के सवास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि वर्तमान कोविड के रोग सूचकांक को देखने से पता चलता है कि कोविड से ग्रसित शिशु एवं अल्प व्यस्क कोविड के कारण अस्पतालीकरण कि आवश्यकता होगी। ऐसा नहीं है कि कोविड के दूसरी लहर में बच्चे ग्रसित नहीं हुए। बच्चे एवं अल्प व्यस्क भी कोरोना से ग्रसित हुए परंतु हल्का लक्षण के कारण एवं उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण घर पर ही उनका इलाज संभव हो सका। तीसरी लहर की संभावना जिसमें अधिक सख्ंया में बच्चों को संक्रमित होने की संभावना है। झारखण्ड में कोरोना से संभावित तीसरी लहर में करीब 07 लाख बच्चों के संक्रमित होने की संभावना है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के अनुसार राज्य में 18 साल से नीचे 01 करोड़ 43 लाख 49 हजार 6 सौ 80 की अबादी है जिसमें 5 प्रतिशत के हिसाब से 07 लाख बच्चों के संक्रमित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिसमें अहम, साधारण एवं गंभीर रूप से संक्रमित बच्चे सम्मिलित होने की संभावना है. गंभीर रूप से कोरोना से ग्रसित होने के 02-04 सप्ताह के बाद बच्चों में MIS-C मल्टी ऑर्गन इंफलेमेट्री सिंड्रोम पाया जाने की संभावना होगी जो कोरोन के बाद ब्लैक फंगस की तरह एक दुसरी समस्या होगी। वर्तमान में बच्चों के लिए टीकाकरण की भी व्यवस्था नहीं है। जिससे हमें और सचेत एवं सावधान रहने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में आईएमए के महिला विंग, झारखण्ड, रांची के द्वारा आयोजित इस कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम काफी प्रासंगिक हो जाता है। यह वेबिनार कोविड-19 तीसरी लहर, अंतर्राष्ट्रीय पीआईसीयू एवं क्रिटिकल केयर से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम जो हमारे बच्चों को सुरक्षित एवं स्वस्थ्य रखने से संबंधित है यह निश्चित रूप से सराहनीय कदम है। (नीचे भी पढ़ें)
आईएमए की चेयरपर्सन डॉ भारती कश्यप ने कहा कि सरकार से हमारा अनुरोध है की जिस तरह पिछली बार कोविड की लहर मे सरकार आयुष्मान भारत के सांस सम्बन्धी बीमारी के कुछ पैकेजेस को कोविड बीमारी के ग्रसित मरीजों के इलाज के पैकेज मे डेसिगनेट यानि विनिर्दिस्ट कर दिया था उसी प्रकार इस बार भी तीसरी लहर मे बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए सांस की बीमारी और बच्चों के हार्ट की बीमारी के कुछ पैकेजेस को कोविड से ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए विनिर्दिस्ट या डेसिगनेट किया जाये। अत्याधुनिक पैथो लैब जिसमे तुरंत रिपोर्टिंग हो जाये अत्यंत ही आवश्यक है, अगर हर तीन या चार छोटे जिला अस्पताल के पिकू (पीआईसीयू) को एक बड़े प्रमंडलीय अस्पताल के पिकू (पीआईसीयू) से जोड़कर एक कॉमन अत्याधुनिक पैथोलैब बना सकते हैं जिसमे छोटे पिकू के ब्लड सैंपल, बड़े पिकू में एम्बुलेंस के माध्यम से तुरंत पहुंचाए जा सके और ई-मेल से तुरंत रिपोर्टिंग हो जाये, ताकि जल्द से जल्द बच्चों के सही इलाज के लिए वाकई में जो बीमारी है उसका पता चल सके और सही ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल तुरंत शुरू किया जा सके और बच्चे की जान बचाई जा सके। वेबिनार में अमेरिका के जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ योंज़ा बुलुट, प्राध्यापक, शिशु रोग विशेषज्ञ, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजेलेस। डॉ रवि कश्यप, एसोसियट मेडिकल डायरेक्टर, मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट, इलिनोइस विश्वविद्यालय, अमेरिका। डॉ पूजा कश्यप, शिशु हृद्य रोग विशेषज्ञ, टेक्सास विश्वविद्यालय, अमेरिका। इसके अतिरिक्त आईएमए के महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ यशोधा, विंग की राष्ट्रीय सचिव डॉ कविता रवि, अरूण कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य, एनएचएम निदेशक, रवि शंकर शुक्ला एवं अन्य उपस्थित थे। (नीचे भी पढ़ें)
अमेरिका से डॉक्टरों ने दिया सुझाव (नीचे पढ़ें)
- कोविड -19 की तीसरी लहर को रोकने के लिए, जितनी जल्दी हो सके सारी आबादी को टीका लगाना जरुरी है। इस दौरान लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना और हाथ धोने जैसी सावधानियां बरतने रहना चाहिए।
- कोविड -19 संक्रमण की तीसरी लहर ज्यदातर बच्चों को प्रभावित कर सकती है। डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड -19 के लक्षणों और मिस-सी के लक्षणों को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उपचार प्रोटोकॉल बना कर उसका सही पालन कर ही बच्चों को बचाया जा सकता है।
- रोग से प्रभावित बच्चों को तुरंत पेडियेट्रिक आई.सी.यू. में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
- पेडियेट्रिक आई.सी.यू. वाले अस्पताल को पूर्ण रक्त गणना, पूर्ण मेटाबॉलिक प्रोफाइल, ट्रोपोनिन-1, क्रिएटिनिन, बीएनपी, सीआरपी सहित बुनियादी रक्त परीक्षण करने की क्षमता वाली पैथोलौजी सुविधाओं से सुसज्जित करने पर ही आई.सी.यू. में बच्चों का त्वरित इलाज संभव हो सकेगा।
- 12 लीड वाला इलेक्ट्रो कार्डियोग्राम और इकोकार्डियोग्राम उपकरण जरूरी है क्यूंकि यह बीमारी हार्ट के मसल को बहुत प्रभावित करती है, जिसे मायोकारडाइटिस कहते हैं। उसके रीडिंग यानी रिजल्ट को समझ कर उचित ट्रीटमेंट देने के लिए पेडियेट्रिक आई.सी.यू. एक्सपर्ट डॉक्टर एवं पेडियेट्रिक हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर की उपस्थिति अनिवार्य है ताकि तत्काल बच्चों के खून की जाँच एवं हार्ट की जाँच हो सके एवं त्वरित चिकित्सा सुविधा बच्चों को मिल सके। लैब के द्वारा यदि कुछ घंटो में रिपोर्ट नहीं आती है तो बच्चों को संभालना खासकर के जिन बच्चों में हार्ट प्रभावित हो रहा है ,उन्हें संभालने में दिक्कत होगी।
- पेडियेट्रिक आई.सी.यू. बच्चों के इलाज के लिए सभी आवश्यक दवाओं की उपलब्धता क्रेश कार्ट में होना चाहिए। उपचार प्रोटोकॉल बनाया जाना चाहिए और उसका पालन किया जाना चाहिए। मिस-सी वाले बच्चों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ सामान्य दवाएं एमिओडारोन, एपिनेफ्रीन, सोडियम बाइकार्बोनेट, कैल्शियम क्लोराइड, डेक्सामेथासोन, इंट्रा वेनस इम्यूनोग्लोबुलिन, एनाकिनेरा (इंटरल्यूकिन-1 अवरोधक), और एंटीकोगुलेशन दवाएं हैं।
- मल्टी-ऑर्गन इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) से ठीक हुए बच्चों को कम से कम छः महीने से एक वर्ष तक अत्याधिक गति वाले खेलों एवं अत्याधिक गति वाले एक्टिविटी से बचना चाहिए। (नीचे भी पढ़ें)