सरायकेला : सरायकेला जिला के विभिन्न बालू घाटों में इन दिनों अवैध बालू उठाव धड़ल्ले से हो रहा है. इनमें से चांडिल अनुमंडल के ईचागढ़ और तिरुलडीह थाना क्षेत्र के स्वर्णरेखा नदी पर बने दर्जनों नही सैकड़ो अवैध बालू घाट हैं. जहां शाम ढलते ही सैकड़ो ट्रैक्टर बालू के खेल में सक्रिय नजर आने लगते हैं. जहां सभी ट्रैक्टरों से बेखौफ बालू माफिया नदी से बालू उठाव कर बामनडीह, रायडीह, खीरी, जारगोडीह आदि गावों में धड़ल्ले से डंप कराते हैं और हाइवा से मोटी रकम लेकर टाटा, रांची आदि शहरों में भिजवाते हैं. (नीचे भी पढ़ें)
बताया जाता है कि इस माफियाओं की ऊँची पहुंच है. वैसे सरायकेला एसपी मो अर्शी द्वारा कई बार छापेमारी कर कई हाइवा जब्त भी किया गया, लेकिन बालू माफियाओं का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि छापेमारी के बाद पुनः ये इलाके में सक्रिय हो जाते हैं. स्वर्णरेखा नदी के तिरुलडीह घाट, सपादा घाट, कारकीडीह घाट, शोभा नदी के चौकेगाड़िया आदि घाटों से रोजाना सैकड़ो जगह घाट बनाकर अवैध बालू का उठाव होने से जहां सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लग रहा है वहीं बालू गाड़ियों के बेतहाशा परिचालन से इलाके की सड़कें भी काफी जर्जर हो चली हैं. जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रहीं हैं. वैसे रात के अंधेरे में कौन बालू गाड़ियों को चेकनाकों से पार कराता है ये जांच का विषय है. (नीचे भी पढ़ें)
बताया जाता है कि बालू को टाटा, रांची के आलावा पश्चिम बंगाल भी सप्लाई किया जाता है. आखिर इन बालू माफियाओं के पीछे किसका हाथ है ये जांच का विषय तो है ही साथ ही बार- बार छापा मारने के बाद भी इनमे इतनी हिम्मत कहां से आती है जो बेख़ौफ़ होकर बालू का उठाव करवाते है. विभाग क्यों इन पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रहा है. आखिर कब तक चलता रहेगा बालू का ये खेल, और कब तक राज्य की खनिज संपदाओं पर माफियाओं का दबदबा चलेगा. ऐसे में यही कहा जा सकता है, कि प्रसाशन डाल-डाल तो बालू माफिया पात-पात. इधर चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा ने कहा कि कुछ दिन पहले ही टीम बनाकर अबैध बालू उठाव को लेकर छापेमारी कर करवाई की गई थी. कुछ लोग अभी भी जेल में है. अगर फिर से उस तरह का मामला आएगा तो कड़ी करवाई की जाएगी.