सरायकेला : सरायकेला जिले का ऐतिहासिक महत्व है. वैसे तो भौगोलिक दृष्टि से यह जिला बंगाल और ओड़िशा से सटा है. वहीं सांस्कृतिक रूप से भी इस जिले का अपना महत्व है. लोक कला छऊ नृत्य की खास शैली के लिए भी इस जिले का अपना महत्व है. छऊ नृत्य में मुखौटा का अपना महत्व होता है. बगैर मुखौटा के छऊ की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती. वैसे सरकार के पहल पर सरायकेला जिला के छऊ नृत्य के कलाकार विदेशों में भी अपना नाम कमा रहे हैं. वहीं मुखौटा कलाकरों को भी न केवल देश बल्कि विदेशों में भी ख्याति मिल रही है. सरकारी प्रयास से यहां के कलाकार मुखौटा निर्माण का गुर विदेशों में भी सिखा रहे हैं. वर्तमान शैली के मुखौटा उद्योग के जनक प्रसन्न कुमार महापात्र के वंशज मुखौटा उद्योग को आगे बढ़ा रहे हैं और विदेशों में भी सरायकेला की कला का जलवा बिखेर रहे हैं. इनका कहना है कि छऊ नृत्य की परिकल्पना मुखौटा के बिना अधूरी है. उनके बनाए मुखौटों का विदेशों में भी खूब डिमांड है.
Saraikela : छऊ मुखौटा निर्माण का गुर सिखा कर विदेशों में भी नाम कमा रहे सरायकेला के कलाकार
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