खबरSaraikela first gas operated crematorium - सरायकेला में शवों को जलाने के...
spot_img

Saraikela first gas operated crematorium – सरायकेला में शवों को जलाने के लिए अब लकड़ी का नहीं होगा इस्तमाल, गैस से संचालित होने वाला पहला शवदाह गृह तैयार

राशिफल

संतोष कुमार / सरायकेला : सरायकेला शहरी क्षेत्र के लोगों को शवों को जलाने के लिए अब लकड़ी की व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी. जिले के सरायकेला स्थित श्मशान के पास जिले का पहला और गैस से संचालित शवदाह गृह बनकर तैयार हो गया है. अब शवों का अंतिम संस्कार गैस से चलने वाली मशीनों से किया जाएगा. गैस आधारित शवदाह गृह में शव के अंतिम संस्कार के लिए गैस का उपयोग होगा. पारंपरिक रूप से लकड़ियों से शवदाह करने के लिए 200 से 300 किलो लकड़ियों की ज़रूरत पड़ती है, जिसका खर्च कम से कम तीन से पांच हज़ार के बीच पड़ता है. (नीचे भी पढ़ें)

इस लिहाज से गैस भट्टी वाला शवदाह गृह पर्यावरण संरक्षण और व्यय दोनों ही तरह से बेहतर है.
इसका निर्माण झारखंड अर्बन इंफ्रास्टक्चर डेवलपमेंट कंपनी (जुडको) ने कराया है. निर्माण में करीब 3 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. रामनवमी के बाद यह शवदाह गृह सरायकेला नगर पंचायत को सुपुर्द कर दिया जाएगा. जुडको की ओर से बताया गया कि कोरोना काल में शव के अंतिम संस्कार को लेकर उत्पन्न हुई परेशानी को देखते हुए सरकार ने सभी जिलों में इस तरह के शवदाह गृह बनाने का निर्देश दिया था. (नीचे भी पढ़ें)

उसी के तहत गैस से संचालित शवदाह गृह बनाए जा रहे हैं. अभी तक केवल सरायकेला व चाईबासा में ही यह बनकर तैयार हो पाया है. इसमें 18 कामर्शियल गैस सिलेंडर लगाये गये हैं. एक शव जलाने के लिए एक सिलेंडर की खपत होगी. गैस शवगृह में प्राइमरी चैंबर में 600 से 800 डिग्री सेल्सियस तापमान रहेगा. इसमें 63 केवीए का डीजी सेट गई है. बताया जा रहा है कि 50 से 60 मिनट में हो जाएगा एक शव का दाह संस्कार, इसमें एक सिलेंडर का खर्च आएगा. इस शवगृह स्थल पर लाइन व पानी की आपूर्ति की जाएगी. साथ ही 6 सौर ऊर्जा लाइट शवदाह गृह करीब भी लगायी गयी हैं. (नीचे भी पढ़ें)

गृह स्थल पर आफिस के लिए अलग से कमरे का निर्माण किया गया है. यहां पर रोजाना तिथि के हिसाब से शवों की इंट्री की जाएगी इसके अलावा शव जलाने आए लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था की गई है. इस संबंध में जानकारी देते हुए मैसेज एसके टेकरीवाल के लाइजनिंग एवं साइड इंचार्ज अमरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है रामनवमी के बाद शवदाह गृह का उद्घाटन कराकर सरायकेला नपं को सुपुर्द कर दिया जाएगा. इसमें लकड़ी का इस्तेमाल नहीं होगा. शव के जलने से पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा.

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading