सरायकेला : आदिवासी हो समाज महासभा की जिला समिति की ओर से सरायकेला के बड़बिल स्थित आदिवासी सांस्कृतिक केंद्र में ओत गुरु कोल लको बोदरा की 105वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई. समारोह में आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चंपाई सोरेन मुख्य अतिथि, जबकि उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, उप विकास आयुक्त प्रवीण कुमार गगराई, आइटीडीए निदेशक संदीप कुमार दोराइबुरू, विधायक प्रतिनिधि सनंद आचार्य विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. मुख्य अतिथि श्री सोरेन ने विशिष्ट अतिथियों के साथ केंद्र स्थित ओत गुरु कोल लाको बोदरा की प्रतिमा के लिए 12 लाख 60 रुपये की लागत से बनने वाले शेड और सौंदर्यीकरण कार्य का शिलान्यास किया. (नीचे भी पढ़ें)
चंपई सोरन ने कहा कि किसी भी समाज की पहचान उसकी भाषा एवं संस्कृति से होती है. ओत गुरु कोल लाको बोदरा ने काफी जीवन संघर्ष के बाद आदिवासी हो समाज को सशक्त करने और अलग पहचान दिलाने के लिए वारंगक्षिति लिपि का आविष्कार किया था. परंतु आदिवासी हो समाज द्वारा इसका व्यापक उपयोग नहीं हो पाया है. वर्तमान में इसके अधिक प्रचार प्रसार और उत्थान की जरूरत है. उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने कहा कि किसी भी समाज की अपनी लिपि उस समाज का स्वाभिमान होती है. कठिन दौर में पढ़ाई कर समाज के स्वाभिमान के लिए ओत गुरु कोल लाको बोदरा ने वारंगक्षिति लिपि तैयार की. उनके द्वारा तैयार वारंगक्षिति लिपि का व्यापक प्रचार-प्रसार ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. (नीचे भी पढ़ें)
जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने कहा कि वर्तमान की हेमंत सोरेन सरकार राज्य के सर्वांगीण विकास और आदिवासी- मूलवासी झारखंडी जन की संस्कृति और संस्कारों के संरक्षण और उत्थान के लिए कृत संकल्प होकर कार्य कर रही है. मंत्री चंपई सोरेन के प्रयास से राज्य में आदिवासी- मूलवासी जनता की संस्कृति और संस्कारों के संरक्षण की पहल हुई है. मौके पर कार्यक्रम में आदिवासी हो समाज महासभा की जिलाध्यक्ष सावित्री कुदादा, जिला कोषाध्यक्ष सरस्वती सोय, विधायक प्रतिनिधि सनद कुमार आचार्य, झामुमो नगर अध्यक्ष बड़ा बाबू सिंहदेव, लिपू मोहंती समेत अन्य लोग उपस्थित रहे.