सरायकेला : सरकार बदली सत्ता बदली और बदल गया सूबे का सुल्तान, लेकिन आजादी के सत्तर दशक बीत जाने के बाद गांव- गरीब और माटी की दुहाई देनेवाली सरकारों को मुंह चिढ़ाते इस सड़क को देखकर आप क्या कहना चाहेंगे ये हम आपपर छोड़ते है. ये नजारा है, बीस वर्षों के बदले झारखंड की जमीनी सच्चाई का.. ये नजारा है, समृद्ध झारखंड के समृद्ध गांवों का… ये नजारा है उन्नत झारखंड के उन्नती के बीस वर्षों का. जी हां ये सरायकेला- खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के दुग्धा और जसपुर पंचायत को जोड़नेवाला मुख्य सड़क का नजारा आप देख रहे हैं. वैसे न केवल दुग्धा और जसपुर पंचायतों को ही यह सड़क जोड़ता है, बल्कि यह सड़क जिला मुख्यालय को भी जोड़ता है. लेकिन इस सड़क पर सफर करने से पहले आप अपनी जान का बीमा कराना न भूलिएगा. क्योंकि सरकार और प्रशासन ने आपकी सुरक्षा का मुकम्मल प्रबंध कर रखा है.
पांच साल रघुवर सरकार सत्ता में रही, तो स्थानीय विधायक के लिए यह सड़क राजनीति का मुद्दा रहा. पांच साल बाद हेमंत राज में स्थानीय विधायक चंपई सोरेन लगातार छठी बार विधानसभा पहुंचे औऱ मंत्री भी बने, लेकिन इस सड़क से राजनीति की शिखर तक पहुंचने के बाद कोरोना काल का हवाला देकर लगभग सभी जनप्रतिनिधियों ने जनता के काम के लिए खुद को जनता से दूर कर लिया, जबकि अपने शोआराम के लिए अपने मतलब के लिए विधानसभा से हर आवाज उठा रहे हैं. कई गांवों को पंचायतों से कई पंचायतों को प्रखंड, जिला मुख्यालय औऱ औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ने वाला यह ग्रामीण सड़क काफी जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. वही बारिश के कारण जगह-जगह जल जमाव से लोगों की मुसीबतें काफी बढ़ गई है. इस सड़क से रोजाना हजारों मजदूर कंपनी सहित प्रखंड कार्यालय एवं बाजारों तक जान जोखिम में डालकर पहुंचते हैं. लेकिन वे जान जोखिम में डालकर चलें तो चलें अपनी बला से. क्योंकि यही उन्नत और खुशहाल झारखंड की तस्वीर है. वैसे इस सड़क को लेकर कई बार स्थानीय लोगों ने अपनी फरियाद जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया है. बावजदू इसके न तो सरकार न ही स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई पहल किया गया है.