जमशेदपुर : मोहम्मद अर्शी ने सरायकेला- खरसावां पुलिस कप्तान के रूप में कमान संभाल ली है. निवर्तमान एसपी कार्तिक एस ने उन्हें पदभार सौंपा. इस दौरान नए पुलिस कप्तान मोहम्मद अर्शी ने पहली प्राथमिकता कोविड-19 महामारी से निपटने की बताई. साथ ही लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े मामले को पुलिस- प्रशासन के साथ मिलकर आगे बढ़ाने की बात उन्होंने कही. वहीं नक्सल ऑपरेशन से जुड़े मामलों पर रिव्यु किए जाने की बात उन्होंने कही. मोहम्मद अर्शी इससे पूर्व पड़ोसी जिला जमशेदपुर में बतौर ग्रामीण एसपी और रेल एसपी के रूप में योगदान दे चुके हैं.
और इधर राज्य के 35 आईपीएस अदिकारियों के तबादले पर जमशेदपुर में विरोध शुरू हो गया है. जहां भाजपा और सरयू राय के समर्थकों ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए स्पष्टीकरण मांगा है. जहां सरयू राय के समर्थकों ने कोरोना संकट के बीच आईपीएस अधिकारियों के राज्यव्यापी तबादले को गैर जिम्मेदाराना ठहराया और आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी गारंटी कौन लेगा कि एक जिले से दूसरे जमे परिवार सहित ये अधिकारी जब जाएंगे तो इन्हें संक्रमण नहीं होगा इसकी गारंटी कौन लेगा. वहीं इन्होंने कहा कि जब जनप्रतिनिधि होने के नाते जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय को रांची से जमशेदपुर आने की अनुमति नहीं मिली तो राज्य के आईपीएस अधिकारियों को कैसे एक जिले से दूसरे जिले में भेजा जाएगा. वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार ने भी राज्यव्यापी आईपीएस तबादले पर सवाल उठाते हुए कहा है, कि भाजपा विधायक अनंत ओझा को अपनी मां के इलाज के लिए अनुमति नहीं दिया गया. वहीं इतने बड़े तबादले के पीछे उन्होंने बड़ी साजिश करार दिया है. दिनेश कुमार ने बताया कि राज्य के सभी अधिकारी जब अपने परिवार के साथ एक जिले से दूसरे जिले में ट्रैवल करेंगे तो उनके संक्रमण के खतरे की जिम्मेवारी कौन लेगा. उन्होंने सरकार के सहयोगी दलों पर भी निशाना साधा है. फिलहाल राज्यव्यापी आईपीएस के तबादले पर राजनीति शुरू हो गई है. आपको बता दें कि वैश्विक संकट के बीच कल देर रात झारखंड सरकार ने राज्य के 35 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है. इसमें जमशेदपुर के एसएसपी, ग्रामीण और रेल एसपी के अलावा पड़ोसी जिला सरायकेला के एसपी का भी तबादला दूसरे जिलों में किया गया है. जहां जमशेदपुर एसएसपी की कमान तमिल वणन के मिला है.
इस बीच खादी बोर्ड के सदस्य कुलवंत सिंह बंटी ने कहा कि
पूरा भारत कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डॉउन का पालन कर रहा है। झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसका पालन नहीं कर रहे। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा बहुत सारे राज्यों के साथ-साथ झारखंड के मुख्यमंत्री से बात होती है और उसके बाद वह प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इस राज्य की जनता को संबोधित करते हैं केंद्र सरकार द्वारा घोषित लॉक डाउन का पालन मैं करना चाहता हूं इसलिए कोटा या अन्य राज्यों में फंसे छात्र एवं मजदूरों को मैं झारखंड में नहीं ला सके। दुसरीं तरफ इस करोना महामारी में झारखंड की #सवा तीन करोड़ जनता को सिर्फ किसी का देहांत होने पर ही #ई पास कई नियम कानून बता कर दिया जा रहा है झारखंड से बाहर फंसे मजदूर ,छात्र या अपना अपना #इलाज कराने अन्य राज्यों में गए हुए लोगों को भी कहीं से आने और जाने की इजाजत नहीं दी जा रही यह राज्य की जनता के साथ अन्याय है…. आप के मंत्री अपने लोगों को बसों में भरकर एक जिला से दूसरा जिला ले जा रहे थे यहां की जनता ने वह सब भी देखा….. परंतु आज माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी आपके द्वारा 35 पुलिस अधिकारी योद्धा बनकर लड़ रहे है उन योद्धाओं का तबादला इस कोरोना महामारी मे लॉक डॉउन के बीच किया जाता है। आपको इन लोगों को भेजने का अधिकार है तो इस राज्य की सवा तीन करोड़ जनता ने क्या गुनाह किया है कि उनके परिवार या उनके रिश्तेदार कई जिलों में फंसे हैं उन्हें अपने घर आने की इजाजत क्यों नहीं दी जाती। जनता एक जिले से दूसरे जिले जाएगी तो करोना महामारी फैलने का खतरा है और आपकी पुलिस अधिकारी एक जिले से दूसरे जिले जाएंगे तो उनके परिवार एवं जनता को करोना का कोई खतरा नहीं यह कैसा इंसाफ है।