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Saraikela : 14 वें वित्त आयोग की योजना में गड़बड़झाला, संवेदक अलग-अलग, ठेकेदार एक, करोड़ों के खेल पर शुरू हुई लीपापोती

राशिफल

  • आरटीआई कार्यकर्ता के खुलासे के बाद गम्हरिया प्रखंड के मुखिया से लेकर बीडीओ और संवेदक में खलबली, जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने का आरोप

सरायकेला : सरायकेला- खरसावां जिले में 14 वें वित्त आयोग के पैसों के बड़े घालमेल का खुलासा हुआ है. वो घालमेल जलमीनार, हैंड वॉश मशीन और सोलर लाइट के टेंडर से लेकर धरातल पर उतरने तक हुआ है. इसका खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता मुकेश श्रीवास्तव द्वारा गम्हरिया प्रखंड के सभी पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग से बने जलमीनारों, सोलर लाइटों और हैंड वॉश मशीनों के संदर्भ में मांगी गयी सूचना के बाद जिले के उपायुक्त द्वारा एडीएम को जांच के लिए लिखी चिट्ठी से हुआ है. हालांकि डीसी द्वारा अगस्त में ही जांच संबंधी आदेश एडीएम को दिया गया है, जिसकी रिपोर्ट अब तक नहीं सौंपी गयी है. वैसे जांच की भनक लगते ही मुखिया से लेकर संवेदक, जेई और बीडीओ सक्रिय हो गए हैं और सभी पंचायतों में बने जलमीनार, सोलर लाइट और हैंड वॉश मशीनों को दुरुस्त कराने में जुट गए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता की अगर मानें तो इसके पीछे करोड़ों का चूना एक ही संवेदक द्वारा लगाया गया है. मुकेश श्रीवास्तव ने दावा किया है कि पूरे जिले में जल मीनार सोलर लाइट और हैंड वॉश मशीन लगाने का ठेका गायत्री इंजीनियरिंग, पीयूष इंटरप्राइजेज और आरपी इंटरप्राइजेज को मिल रहा है.

उन्होंने बताया कि तीनों ही संवेदक के प्रोपराइटर प्रदीप दंडपात हैं. उन्होंने बताया कि पीयूष इंटरप्राइजेज प्रदीप दंडपात के बेटे के नाम पर है. आरपी इंटरप्राइजेज उनके मैनेजर और एक अन्य सहयोगी के नाम पर है. तीनों को मैनेज एक ही व्यक्ति करता है. तीनों टेंडर हजार-पांच सौ ऊपर नीचे करके डालते हैं. जिसको टेंडर फाइनल हुआ उसके पीछे लाभ एक ही व्यक्ति उठाता है. उन्होंने बताया कि गम्हरिया प्रखंड के बुरुडीह, यशपुर, मुड़िया, और दुग्धा पंचायतों में बड़े पैमाने पर मुखिया के मिलीभगत से इन योजनाओं का घोटाला हुआ है. प्रखंड विकास पदाधिकारी पूरे मामले को लेकर लीपापोती में लगे हैं. वैसे उपायुक्त के निर्देश के बाद भी अब तक जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है, जो साफ तौर पर विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत को दर्शाता है. हालांकि ग्रामीणों में इसको लेकर खासी नाराजगी भी है. बताया जाता है कि पूरी प्रक्रिया में सरकारी नियमों को ताक पर रखते हुए काम किया गया है. यहां तक कि योजना से संबंधित शिलापट्ट भी नहीं लगाया गया है. न ही मुखिया का हस्ताक्षर या अनुशंसा संबंधित योजना के पूरा होने पर कराया गया है. सभी हस्ताक्षर फर्जी हैं. मुकेश ने दावा किया है कि सभी योजनाओं के संवेदक भले ही कागज पर अलग-अलग हों, लेकिन हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति का है. फिलहाल आरटीआई कार्यकर्ता के खुलासे के बाद सरकारी महकमे में खलबली मच गयी है.

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