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Sonari-Gurdwara-controversy- सोनारी गुरुद्वारा विवाद : विपक्ष कर रहा चुनाव की तैयारी, उधर, तारा सिंह ने गुरदयाल और टीम पर शांति भंग करने की थाने में की शिकायत

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जमशेदपुर: सोनारी गुरुद्वारा में प्रधान को लेकर चल रहे विवाद पर प्रशासन और समाज के जिम्मेदारों की चुप्पी कभी भी बड़ी बवाल खड़ा कर सकती है. पिछले दिनों गुरुद्वारा में धक्का मुक्की और गाली गलौज के बाद विपक्ष ने चुनाव कराने की खुद प्रक्रिया शुरू की थी. करीब 20 दिनों बाद विपक्ष की घोषणा का असर रहा की यहां शुक्रवार तक तीन लोगों ने नामांकन पर्चा भरा. इसी के साथ ही विपक्ष ने चुनावी प्रक्रिया संपन्न कराने की कमान सीजीपीसी के विरोधी गुट भगवान सिंह को सौंप दी है. विपक्ष की इस कार्रवाई को देखते हुए मौजूदा प्रधान तारा सिंह गिल ने शुक्रवार को विपक्ष के गुरदयाल सिंह और उनकी टीम पर शांति भंग करने का आरोप लागकर शिकायत दी है. शिकायत में कहा गया है की उनकी ओर से कोई पहल नहीं की जाएगी. वे गुरुद्वारा की मर्यादा का मान बनाये रखेंगे. अगर गुरुद्वारा में कुछ माहौल बिगड़ता है तो इसकी जिम्मेदारी गुरदयाल सिंह की होगी.
विपक्ष से आए तीन नाम


अब तक के इतिहास में ऐसा कहीं नहीं देखा गया होगा की विपक्ष ने चुनाव प्रक्रिया शुरू कराई हो. बहरहाल, इस प्रक्रिया में तीन नाम प्रधान पद के लिए सामने आए हैं. उनमें बलबीर सिंह तो पहले से थे ही. अब कदमा के पूर्व प्रधान रवेल सिंह व हरभजन सिंह भी उसमें शुमार हो गए हैं. गुरदयाल सिंह ने प्रेस को बताया की चुनाव की अगली घोषणा शीघ्र ही बैठक कर सार्वजनिक करेंगे. इधर, विपक्ष की एक बैठक श्री गुरु रामदास सेवा सोसाइटी के बैनर तले हुई. बैठक में आगामी 3 जून को श्री गुरु अर्जन देव जी के शहीदी दिवस पर एयरपोर्ट के पास गिल स्वीट के सामने शबील लगाने का निर्णय लिया गया. बैठक में प्रधान बलबीर सिंह, मंजीत सिंह, सतबीर सग्गू, एचएस बेदी, जोगिंदर सिंह, हरचरण सिंह, दलजीत सिंह, अवतार सिंह, हरबंस सिंह आदि शामिल थे.
अकाल तख्त ने मुझे दी है क्लीन चिट : तारा सिंह
सोनारी में चल रहे पूरे विवाद पर बोलते हुए तारा सिंह ने कहा की आजतक कहीं ऐसा नहीं हुआ है की विपक्ष ने चुनाव कराया है. गुरदयाल सिंह गुरुद्वारा की संगत को गुमराह कर रहे हैं. अगर गुरुद्वारा में विधि व्यवस्था भंग होती है तो गुरदयाल सिंह का हाथ होगा. अकाल तख्त ने संगत के आदेश को सर्वोपरी मानते हुए मुझे 2024 तक मान्यता दे दी है. विपक्ष को अगर आपत्ति है तो सीजीपीसी के जाये. संचालन समिति के पास जा रहे हैं, जिसका कोई वजूद ही नहीं है.

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