जमशेदपुर : झारखंड हाईकोर्ट में टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन का बिना किसी प्रावधान के मध्यावदि चुनाव कराने के मामले में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसएन पाठक की अदालत ने टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के महासचिव और टाटा मोटर्स प्रबंधन से जवाब तलब किया है. इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में टेल्को वर्कर्स यूनियन (जो पहले मान्यता प्राप्त यूनियन थी) के महासचिव प्रकाश कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है. इस मामले में जवाब दाखिल होने के बाद फिर से सुनवाई होगी और हाईकोर्ट की ओर से इस पर अपना फैसला सुनाया जायेगा.
क्या है पूरा मामला?
टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के वर्तमान कमिटी जिसमें गुरमीत सिंह तोते अध्यक्ष और आरके सिंह महामंत्री है. 31 दिसम्बर 2018 को टाटा मोटर्स परिसर में हुए चुनाव के माध्यम से चुने गए है. चुनाव को अवैध, संविधान और कानून के खिलाफ बताकर टेल्को यूनियन के महासचिव प्रकाश कुमार एवं अन्य ने कई आपत्तियाँ निबंधक कार्यालय में दर्ज करायी थी. लेकिन सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. कई सारी आपत्तियों को लेकर चुनाव को नही दर्ज करने की मांग निबंधक ट्रेड़ यूनियन से किया गया था पर 6 महीना तक कोई एक्शन नही होने पर प्रकाश कुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालत में मामला होने की पूर्ण जानकरी होने के बावजूद निबंधक ने इसे रजिस्टर बी में दर्ज कर लिया. अब हाईकोर्ट ने सभी विषयों पर निबंधक ट्रेड यूनियन, जमशेदपुर डीएलसी, टाटा मोटर्स प्रबंधन और टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन से जवाब मांगा है. आपको बता दें कि टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन का चुनाव 31 दिसम्बर 2018 को हुआ था उसी को गैर कानूनी कराने की मांग झारखंड हाईकोर्ट से किया गया है.
क्या है आपत्तियां :
(1) टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन जिसका पहले नाम टीएमएल ड्राइव लाइंस वर्कर्स यूनियन था, जिसका पिछला चुनाव 28 दिसम्बर 2016 को टीएमएल ड्राइव लाइन्स के कामगारों के बीच हुआ था और यूनियन संविधान के मुताबिक चुने गए कार्यकारिणी का कार्यकाल 3 साल का होता है, और अधिकतम 2 माह पूर्व ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. बावजूद इसके यूनियन द्वारा बिना किसी मध्यावधि चुनाव के प्रावधान के यूनियन का चुनाव एक साल में ही करा दिया गया, जो संविधान और श्रम कानून का उल्लंघन है.
(2) टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन टीएमएल ड्राइव लाइन्स लिमिटेड के कामगारों का संगठन है तो वह टाटा मोटर्स लिमिटेड के कामगारों को ना तो सदस्य बना सकती है और ना ही उसका चुनाव करा सकती है.
(3) यूनियन की गुणक को कम करने के उदेश्य से वर्ष 2002 में श्रम कानून में बदलाव कर यह प्रावधान जोड़ा गया था कि यूनियन का निबंधन जिस उद्योग के लिए हुआ है, उसके कम से कम 100 कामगार यूनियन के सदस्य हमेशा बने रहना अनिवार्य है नही तो यूनियन को निबंधित यूनियन की मान्यता नही मिलेगी और 5 अप्रैल 2018 को एनसीएलटी मुम्बई ने एक फैसले से टीएमएल ड्राइव लाइन्स लिमिटेड का विलय टाटा मोटर्स लिमिटेड में कर दिया और विलय की शर्तों के मुताबिक टीएमएल के सारे कर्मचारी अब टाटा मोटर्स के कर्मचारी है. जब टीएमएल में कोई कर्मचारी ही नही बचा तो शर्तों के मुताबिक 100 सदस्य की अनिवार्यता भी पूरी नही होती. अतः नियम के अनुसार यूनियन की मान्यता रद्द किया जाना चाहिए और फिर चुनाव कराने का कोई औचित्य नही है.
(4) टाटा मोटर्स यूनियन ने स्वयं हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर टेल्को वर्कर्स यूनियन के सदस्यों द्वारा टेल्को यूनियन से इस्तीफा देकर उनके यूनियन के सदस्य बनने और डीसी जमशेदपुर द्वारा इस सदस्यों के हेरफेर को सही नही ठहराए जाने संबंधी मामला न्यायलय के समक्ष उठाया है और मामला आज भी न्यायलय के विचाराधीन है. फिर न्यायलय के विचाराधीन विषय पर एकतरफा फैसला लेतें हुए विवादित सदस्यों को अपना सदस्य मानकर चुनाव नही कराया जा सकता है.