जमशेदपुर : टाटा स्टील में वेज रिवीजन समझौता को लेकर वार्ता का दौर जारी है. सितंबर माह कर्मचारियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होने जा रहा है. कंपनी के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (डीए) में बदलाव होना तय है. इसके बदलाव को लेकर कंपनी और यूनियन की ओर से बैठक हो चुकी है. इस बदलाव को लेकर यूनियन ने भी अपनी मंजूरी दे दी है. इसके बाद वर्तमान में टाटा स्टील के कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता (डीए) अब भूत हो जायेगा यानी अब उस फार्मूला के तहत कर्मचारियों को डीए नहीं मिलेगा, जो अब तक मिला करता था. अब उनको नये फार्मूला के तहत ही डीए मिलना है. इस नये फार्मूला के लागू हो जाने से कर्मचारियों को नुकसान होगा. वर्तमान में तो पैसा अच्छा दिखेगा, लेकिन कर्मचारियों को भविष्य में विकास रुक जायेगा यानी जिस रफ्तार से उनका वेतन बढ़ता था, उस रफ्तार से कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ेगा. टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए अलग-अलग चार फार्मूला मैनेजमेंट की ओर से दिया गया है. पहले विकल्प के तहत कर्मचारियों का बेसिक के साथ डीए का समायोजन नहीं रहेगा. बेसिक और डीए को अलग करने के बाद बेसिक पर ही मिनिमम गारंटीड बेनीफिट (एमजीबी) मिला करेगा. अगर यूनियन पहले विकल्प को नहीं मानती है तो वेतन की राशि के आधार पर सीलिंग लगाने का प्रस्ताव है. इसके तहत अगर किसी कर्मचारी का 50 हजार रुपये का बेसिक है तो उसको सौ फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) मिलेगा जबकि अगर उनका बेसिक एक लाख रुपये तक हो चुका है तो उनको डीए सिर्फ 50 फीसदी ही मिलेगा. वैसे टाटा स्टील ने कोलियरी में लागू की गयी योजना का भी हवाला देते हुए, उस फार्मूला को भी मानने के लिए यूनियन के पास प्रस्ताव दिया है. इसके तहत कोलियरी में जिस तरह 52 हजार रुपये पर डीए फ्रीज हो जाया करेगा जबकि एक सीलिंग लागू कर दी जाये कि इतनी राशि तक ही डीए मिलेगा, भले ही प्वाइंट के हिसाब से जितना भी डीए कर्मचारियों को मिलता हो. वैसे इसको लेकर वार्ता चल रही है और मैनेजमेंट और यूनियन इसको लेकर लगभग एक रास्ते में है. कौन सा फार्मूला लागू होगा, यह देखने वाली बात होगी.