खबरtata-steel-landfill-Project : पोटका के बेगुनाडीह में न कोई कचरा निस्तारण प्लांट लगेगा...
spot_img

tata-steel-landfill-Project : पोटका के बेगुनाडीह में न कोई कचरा निस्तारण प्लांट लगेगा और न ही शहर का कचरा सीधे वहां डंप होगा, बेगुनाडीह में लैंडफिल के बाद बनेगा खूबसूरत मनोरंजक पार्क, जानें क्या है पूरा प्रोजेक्ट

राशिफल

जमशेदपुर : टाटा स्टील लिमिटेड की अनुषंगी इकाई टाटा स्टील यूआईएसएल की ओर पोटका प्रखंड के बेगुनाडीह में न तो किसी तरह का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाया जायेगा और न ही शहर के कचरे को सीधे ले जाकर डंप किया जायेगा. वहां लैंडफिल प्रोजेक्ट स्थापित किया जायेगा. जहां स्क्रीनिंग के बाद निष्क्रिय ठोष अपशिष्ट को मिट्टी के अंदर चरणबद्ध तरीके से बिछाया जायेगा. इससे न तो किसी तरह की दुर्गंध आयेगी और न ही किसी तरह से कचरे से पानी निकलेगा. कुल मिलाकर यह क्षेत्र की मिट्टी और हवा जैसी पर्यावरणीय मापदंडो को कोई नुकसान नहीं पहुंचायेगा. उक्त स्थल पर लैंड फिल करने के पश्चात भविष्य में वहां मनोरंजन पार्क का रूप दिया जा सकेगा. (नीचे भी पढ़ें व वीडियो देखें)

देखा जाये, तो एमएसडब्ल्यू नियम 2016 के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निष्क्रिय (rejects) का निपटान स्वच्छता / सुरक्षित लैंडफिल सुविधाओं में किया चाहिए. लैंडफिल, भूमि पर अकार्बनिक कचरे का निपटान करने की विधि है. इसी के तहत जमशेदपुर में एकत्रित होनेवाले कचरे का जमशेदपुर में ही स्क्रीनिंग के बाद निष्क्रिय अपशिष्ट जैसे छोटे-छोटे कंक्रीट, कांच के टुकड़े, पत्थर आदि के निपटान के लिए बेगुनाडीह को लैंडफिल साइट के रूप मे चुना गया है. यह क्षेत्र की मिट्टी और हवा जैसी पर्यावरणीय मापदंडो को कोई नुकसान नहीं पहुंचायेगा. इसके अलावा लैंडफिल परियोजना की कार्यप्रणाली, प्रक्रिया व विधि की चर्चा करते हुए कंपनी की ओर से बताया गया है कि लैंडफिल साइट पर भेजे जाने वाले निष्क्रिय पदार्थों के तहत में इनर्ट्स ईंट, पत्थर, रेशेदार सामग्री, थर्मोकोल और मिट्टी, रेत आदि शामिल हैं. स्क्रीनिंग के बाद जो इनर्ट्स निकलती है उसे एक बंद कंटेनर में जमशेदपुर से बेगुनाडीह ले जाया जाएगा जिसे कॉम्पेक्टर कहा जाता है. (नीचे भी पढ़ें व वीडियो देखें)

वैज्ञानिक रूप से लैंडफिल का निर्माण चरणबद्ध तरीके (सेल) में मिट्टी की खुदाई करके की जाता है और फिर परतों की श्रृंखला के साथ बिछाया जाता है, जिसमें जियो सिंथेटिक क्ले लाइनर, एचडीपीई लाइनर, ड्रेनेज और फिल्टर मीडिया शामिल हैं. दिन-प्रतिदिन संसाधित इनर्ट्स को वैज्ञानिक लैंडफिल में निपटाया जाता है और दिन के अंत तक इसे मिट्टी की परत से ढंक दिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में कोई नया संयंत्र स्थापित नहीं किया जा रहा है. जमशेदपुर से परिवहन किए जाने वाले इनर्ट्स पूरी तरह से गैर-बायोडिग्रेडेबल हैं. इनर्ट्स आसपास के क्षेत्रों की मिट्टी और हवा जैसे पर्यावरणीय मापदंडों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी. जैसे-जैसे लैंडफिल की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात वहां झाड़ियाँ और घास लगाकर हरित आवरण विकसित किया जाएगा ताकि क्षेत्र में हरियाली बनी रहे. (नीचे भी पढ़ें व वीडियो देखें)

लैंडफिल सुविधा से क्षेत्र में बहुत सीमित रोजगार का भी सृजन होगा. क्योंकि कोई नया संयंत्र स्थापित नहीं किया जा रहा है और प्रक्रिया पूरी तरह से जमशेदपुर से ले जाये जाने वाले निष्क्रिय पदार्थों के साथ भूमि की कोशिकाओं को फिर से भरा जा रहा है. रोजगार यदि कोई है तो कंपनी के उचित परिश्रम और रोजगार मानदंडों के बाद जरूरत के आधार पर किया जाएगा। जमशेदपुर में स्क्रीनिंग के बाद ठोस अपशिष्ट को एक बंद कंटेनर में जमशेदपुर से बेगुनाडीह के जाया जायेगा, जिसे कॉम्पेक्ट कहा जाता है. लैंडफिल से जरूरत के आधार पर शिक्षित और कुशल व्यक्तियों के लिए रोजगार के नए अवसरों के माध्यम से स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार होगा. सड़कों एवं स्ट्रीट लाइट आदि का विकास कर स्थानीय क्षेत्रों की मूलभूत सुविधाओं में सुधार किया जायेगा.

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading